ऑड-इवन ट्रायल के दूसरे चरण में शुक्रवार को जहां सड़क और मेट्रों सेवाओं में दिक्कतों का सामना करना पड़ा वहीं सोमवार को दिल्ली के लोगों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. ऑड-इवन पार्ट 2 में सोमवार को पहला 'वर्किंग डे' है और कई दिन की छुट्टियों के बाद स्कूल और ऑफिस भी खुलेंगे लेकिन इस दिन लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
यूनियनों में मतभेद
दरअसल ऑटो-टैक्सी के एक संगठन ने अपनी मांगों को लेकर एक दिन की हड़ताल की घोषणा की है, वहीं एक अन्य संगठनों ने खुद को हड़ताल से दूर रखने की बात कही है.
एप आधारित कैब सर्विस का विरोध
एप आधारित कैब सर्विस के विरोध में दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ और दिल्ली प्रदेश टैक्सी यूनियन ने हड़ताल की घोषणा की है. यूनियन के महासचिव राजेंद्र सोनी का कहना है कि पिछले महीने 14 मार्च को यूनियन के प्रतिनिधियों ने ट्रांसपोर्ट मंत्री गोपाल राय से मुलाकात की थी और सरकार ने 15 दिन के भीतर मांग पूरी करने का आश्वासन दिया था, जो बेनतीजा रहा.
सीएम से भी नहीं मिला जवाब
सोनी का कहना है कि सीएम से मिलने की भी कोशिश की गई लेकिन जवाब नहीं मिला, जब ऑटो-टैक्सी चालकों का रोजगार छिन रहा है, तो अब हड़ताल के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है.
परमिट बांटने में गड़बड़ी का आरोप
सोनी का कहना है कि सोमवार को सड़कों पर ऑटो और काली-पीली टैक्सी नहीं चलेंगी. रेलवे स्टेशनों की टैक्सी यूनियनों ने भी इसे सपोर्ट किया है. उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने अभी तक ऑटो रिक्शा के 10,000 नए परमिट जारी नहीं किए हैं, जिन्हें परमिट बांटने में कथित अनियमितता के आरोप के चलते रद्द किया गया था.
दिल्ली सरकार को सौंपा था ज्ञापन
राजधानी में इस समय करीब 13,000 काली-पीली टैक्सियां और करीब 81,000 ऑटो रिक्शा चल रहे हैं. यूनियन की मांगों को लेकर दिल्ली सरकार को ज्ञापन भी सौंपा गया था.
कई संगठन हड़ताल से अलग
ऑल दिल्ली ऑटो-टैक्सी ट्रांसपोर्ट्स कांग्रेस यूनियन ने इस हड़ताल से खुद को अलग रखने का फैसला किया है. यूनियन के अध्यक्ष किशन वर्मा का कहना है कि ऑटो-टैक्सी चालकों की समस्याओं को लेकर सरकार के साथ बातचीत हुई थी और कई मुद्दों पर सहमति बन गई है और जल्द ही कई मसलों का हल होना है.
यूनियनों पर आरोप
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ संगठन चालकों को परेशान कर रहे हैं और हड़ताल पर जाने की बात कर रहे हैं. वर्मा ने चालकों से अपील की है कि वे ऐसे संगठनों के बहकावे में न आएं, जो अपनी राजनीति चमकाने के लिए ऑटो-टैक्सी ड्राइवरों के हितों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.