विवेक विहार बेबी केयर अग्निकांड में रोज नए खुलासे हो रहे हैं. मौका ए वारदात का जायजा लेकर इलाके की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिया कि मास्टर प्लान 2021 की कॉपी मांगी जाए और पूछा की बिल्डिंग बाय -लॉ के मुताबिक नर्सिंग होम का निर्माण किया जा सकता था या नहीं? उन्होंने एग्जिस्टिंग स्ट्रक्चर का साइट प्लान भी मांगा. दूसरी तरफ दिल्ली फायर सर्विस ने एमसीडी से बेबी केयर की हाइट पूछा है कि वो 9 मीटर से ज्यादा है या कम? घटना के बाद एजेंसिया तत्पर हैं, लेकिन खुलासा हुआ है कि पूरी दिल्ली में सिर्फ 196 अस्पतालों के पास ही फायर एनओसी है. बाकियों ने या तो ली नहीं या फिर अवैध चल रहे हैं.
फायर और एमसीडी के आला अधिकारियों ने माना कि पूरी दिल्ली में कहीं ना कहीं बिना फायर एनओसी के अस्पताल और नर्सिंग होम चल रहे हैं. विवेक विहार ग्राउंड प्लस वन बिल्डिंग थी. फायर विभाग को पता चला है कि कुछ कमरे ऊपर बना रखे थे और टीन शेड डाला गया था जहां पर जनरेटर भी लगा हुआ था, इसलिए फायर सर्विस ने एमसीडी को चिट्ठी लिखा कि इसकी हाइट बताई जाए.
सिर्फ एक एफिडेविट और एनओसी से बच जाते हैं
दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर अतुल गर्ग का कहना है कि दिल्ली फायर के पास फील्ड स्टाफ नहीं है, उसका काम सिर्फ आग लगने की घटनाओं पर दमकल कर्मियों को भेजना और बुझाने के बाद वापस आ जाना है. ऐसे में विवेक विहार बेबी केयर अस्पताल की हाइट वास्तव में 9 मीटर थी या नहीं, इसका पता लगाने के लिए एमसीडी को लिखा गया है.
दिल्ली फायर एक्ट में साफ है कि अस्पताल या नर्सिंग होम की ऊंचाई 9 मीटर से ज्यादा है तो फायर विभाग से एनओसी लेनी होगी. 9 मीटर से कम है तो फायर एनओसी की जरूरत नहीं है. हालांकि वहां पर आग बुझाने के सारे के सारे इंतजाम होने चाहिए. अधिकतर अस्पताल की ऊंचाई 9 मीटर से ज्यादा होने के बाद भी झूठे हलफनामें देकर ये बताया जाता है. ऊंचाई 9 मीटर से कम है, लिहाजा एनओसी से बच जाते हैं. जबकि हकीकत कुछ और ही होती है. ऐसे में फिजिकल वेरिफिकेशन पर जोर देते हुए दिल्ली फायर चीफ ने कहा कि जब तक ऊंचाई का सही पता एमसीडी और DGHS न लगा लें तब तक अस्पतालों का आंशिक रजिस्ट्रेशन ही होना चाहिए. फायर चीफ ने झूठे एफिडेविट देकर फायर एनओसी से बचने के इस बड़े लूपहोल को माना और एक बार मौके पर वेरिफिकेशन होने पर ही पूरा रजिस्ट्रेशन और फायर एनओसी देने की बात कही.
क्या अपनी जिम्मेदारी से चूक गया DGHS?
किसी भी अस्पताल या केंद्र को दिल्ली सरकार के डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज के नर्सिंग होम सेल में रजिस्ट्रेशन करने के बाद ही चलाया जा सकता है. मौजूदा बेड की संख्या डॉक्टर स्पेशलिस्ट नर्सिंग स्टाफ की छानबीन नर्सिंग होम सेल की टीम अस्पताल जाकर करती है. इस दौरान उन्हें फायर और एनवायरमेंट NOC देनी होती है. पूरी जांच के बाद 3 साल का रजिस्ट्रेशन दिया जाता है. हर 3 साल पर इसे रिन्यू कराना होता है. जांच में पता चला है कि बेबी केयर का रजिस्ट्रेशन मार्च में ही खत्म हो गया था. दिल्ली में कुल 1068 अस्पताल हैं जिसमें सिर्फ 196 के पास ही दिल्ली फायर सर्विस का एनओसी है. दिल्ली फायर एक्ट में रूल है कि 9 मीटर से कम अस्पताल स्कूल या किसी बिल्डिंग को एनओसी की जरूरत नहीं है. डीएमए के पूर्व अध्यक्ष डा हरीश गुप्ता का कहना है कि नर्सिंग होम एक्ट के तहत रेजिडेंशल एरिया में अस्पताल खोले जा सकते हैं.