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सीलिंग के विरोध में सड़क पर उतरे दिल्ली के लाखों व्यापारी, बाजार बंद

23 जनवरी के बंद के समर्थन के बाद 29 जनवरी को व्यापारियों के साथ आम आदमी पार्टी विरोध स्वरूप संसद मार्च भी करेगी. दरअसल, इसी दिन से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है.

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दिल्ली बंद को 'आप' का भी सपोर्ट
दिल्ली बंद को 'आप' का भी सपोर्ट

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दिल्ली में एमसीडी की ओर से की जा रही सीलिंग के विरोध में मंगलवार  यानि की आज दिल्ली के लाखों व्यापारी सड़क पर उतर आए हैं.  दिल्ली में तमाम मार्केट बंद हो गए हैं. सड़कों पर जाम लग गया है. खास बात ये है कि इस बंद का सत्ताधारी आम आदमी पार्टी भी समर्थन कर रही है. इससे पहले रविवार को इस संबंध में 'आप' के पार्टी कार्यालय में सांसदों, विधायकों, पार्षदों और संगठन के पदाधिकारियों की मीटिंग भी हुई.  

मीटिंग के बाद रविवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने बताया था कि, ''दिल्ली के व्यापारियों के विरोध के बावजूद बीजेपी शासित एमसीडी सीलिंग के माध्यम से व्यापारियों का धंधा बंद करने और मज़दूरों का रोज़गार छीनने का सिलसिला जारी है. अब बीजेपी की केंद्र सरकार ने एफ़डीआई लागू कर दिल्ली के व्यापारियों की दुकानें बंद करने का इंतज़ाम कर दिया गया है.''

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29 जनवरी को 'आप' करेगी संसद मार्च

वहीं, मीटिंग में ये भी तय हुआ है कि 23 जनवरी के बंद के समर्थन के बाद 29 जनवरी को व्यापारियों के साथ आम आदमी पार्टी विरोध स्वरूप संसद मार्च भी करेगी. दरअसल, इसी दिन से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है. इस तरह से आम आदमी पार्टी सीलिंग के मुद्दे पर एमसीडी में काबिज बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के मूड में हैं.

सीलिंग के खि‍लाफ AAP ने जारी किया था पोस्टर

आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को व्यापारी विरोधी बताते हुए एक पोस्टर भी जारी किया था. पार्टी नेताओं ने बीजेपी पर दिल्ली के व्यापार और रोजगार को बर्बाद करने का आरोप लगाया था. पोस्टर में सीलिंग, एफडीआई, नोटबंदी और जीएसटी का विरोध किया गया. हाल ही में दिल्ली विधानसभा में भी विधायकों ने एफडीआई के खिलाफ प्रस्ताव पास किया था और सीलिंग के खिलाफ एमसीडी से जवाब भी मांगा था.

क्यों हो रही है सीलिंग?

दरअसल, दिल्ली में निर्माण कार्यों के लिए एमसीडी से इजाजत लेनी पड़ती है. राजधानी के अलग-अलग इलाकों में अवैध निर्माण की शिकायतों के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने 2005 में एक्शन का आदेश दिया था. एमसीडी का लचीला रवैया देखकर मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा.

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सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में अवैध निर्माण की सीलिंग करने के आदेश जारी किए. इसके बाद दुकानों या कमर्शियल प्रॉपर्टी को सीलिंग से बचाने के लिए सरकार ने कन्वर्जन चार्ज का प्रावधान किया. कारोबारियों ने ये चार्ज अदा करने में भी लापरवाही दिखाई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी दुकानों या प्रॉपर्टी को सील करने का आदेश दिया और इसके लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया. अब मॉनिटरिंग कमेटी की देखरेख में ऐसी दुकानों को सील किया जा रहा है, जिन्होंने कन्वर्जन चार्ज जमा नहीं कराया है.

कन्वर्जन चार्ज न देने वालों का निर्माण अवैध होने पर उसे गिराने का भी आदेश है. नगर निगम की इस कार्रवाई को मास्टर प्लान 2021 का हिस्सा बताया जा रहा है. इसके तहत खान मार्केट और डिफेंस कॉलोनी जैसे पॉश इलाकों में कार्रवाई की जा रही है. जिससे व्यापारियों पर संकट आ गया है.

कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बंद की घोषणा करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में दिल्ली नगर निगम कानून 1957 के मूलभूत प्रावधानों को ताक पर रख सीलिंग की कार्रवाई की जा रही है.

विधानसभा में भी उठा मुद्दा

दिल्ली में चल रहे सीलिंग अभियान पर जारी विवाद का असर 15 जनवरी को विधानसभा में भी देखने को मिला था. आप बीजेपी विधायकों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए नारेबाजी की जिससे दो घंटे में कार्यवाही चार बार स्थगित हुई थी.  विपक्ष के दो विधायकों को मार्शलों ने बाहर तक निकाल दिया था.

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