scorecardresearch
 

सीलिंग के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर उतरे व्यापारी, हर तरफ दिखा असर

वैसे तो पूरी दिल्ली में बंद का असर रहा लेकिन इसका केंद्र रहा पुरानी दिल्ली का चावड़ी बाजार इलाका जहां हजारों दुकानें सीलिंग के विरोध में बंद रहीं.

Advertisement
X
सीलिंग के विरोध में सड़क पर उतरे लाखों व्यापारी
सीलिंग के विरोध में सड़क पर उतरे लाखों व्यापारी

Advertisement

दिल्ली में एमसीडी की ओर से की जा रही सीलिंग के विरोध में मंगलवार यानि की आज दिल्ली के लाखों व्यापारी सड़क पर उतर आए और  दिल्ली में तमाम बाजार बंद रखे गए. सड़कों पर जाम लग गया है. इस दौरान अलग-अलग बाजारों में व्यापारियों ने धरना दिया और सीलिंग के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस बंद का दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी भी समर्थन कर रही है.

चावड़ी बाजार रहा प्रदर्शन का केंद्र

वैसे तो पूरी दिल्ली में बंद का असर रहा लेकिन इसका केंद्र रहा पुरानी दिल्ली का चावड़ी बाजार इलाका जहां हजारों दुकानें सीलिंग के विरोध में बंद रहीं. CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली की 2 हजार मार्केट एसोसिएशन के 7 लाख व्यापारियों ने मंगलवार को बंद में शामिल होकर इसे सफल बनाया. इस दौरान प्रवीन खंडेलवाल ने 2007 का डीडीए का एक नोटिफिकेशन भी दिखाया जिसमें लिखा था कि 1962 के पहले बने सभी बाजारों को कन्वर्जन चार्ज और पार्किंग चार्ज नहीं देना है, लेकिन इसके बावजूद यहां सीलिंग की तलवार लटक रही है.

Advertisement

इसके लिए इन बाजारों के व्यापारियों को 1962 से पहले की दुकान के कागजात दिखाने होंगे जो कि मुमकिन इसलिए नहीं है क्योंकि उस वक्त की बनी ज्यादातर दुकानें पगड़ी पर उठी हुई हैं. इसके अलावा पुश्तैनी दुकानों की जब रजिस्ट्री हुई तो वो 1962 के बाद हुई ऐसे में वो इस नियम से बाहर हो चुके हैं और सीलिंग की जद में आ गए हैं.

करोड़ों रुपये का नुकसान

प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक मंगलवार को बुलाए गए एक दिन के बंद से दिल्ली में करीब 1500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसके अलावा सरकार को करीब 125 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि भी हुई है.

क्यों हो रही है सीलिंग?

दरअसल, दिल्ली में निर्माण कार्यों के लिए एमसीडी से इजाजत लेनी पड़ती है. राजधानी के अलग-अलग इलाकों में अवैध निर्माण की शिकायतों के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने 2005 में एक्शन का आदेश दिया था. एमसीडी का लचीला रवैया देखकर मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा.

सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में अवैध निर्माण की सीलिंग करने के आदेश जारी किए. इसके बाद दुकानों या कमर्शियल प्रॉपर्टी को सीलिंग से बचाने के लिए सरकार ने कन्वर्जन चार्ज का प्रावधान किया. कारोबारियों ने ये चार्ज अदा करने में भी लापरवाही दिखाई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी दुकानों या प्रॉपर्टी को सील करने का आदेश दिया और इसके लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया. अब मॉनिटरिंग कमेटी की देख रेख में ऐसी दुकानों को सील किया जा रहा है, जिन्होंने कन्वर्जन चार्ज जमा नहीं कराया है.

Advertisement

Advertisement
Advertisement