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सैलरी डे पर भीड़ से बचने को बैंकों ने अपनाया टोकिन का तरीका, खुद तय की निकासी की लिमिट

केंद्रीय कर्मचारी सुमित कुमार ने बताया कि बैंक की तरफ से उन्हें लाइन में ही बता दिया गया कि 24 हज़ार रुपए कैश नहीं मिलेंगे, क्योंकि कैश कम है और लोग ज्यादा. इसलिए बैंक ने दस हज़ार रुपए कैश की लिमिट फिक्स कर दी है.

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सैलरी डे से बढ़ी बैंकों में भीड़
सैलरी डे से बढ़ी बैंकों में भीड़

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महीने के पहले दिन सैलरी के लिए बैंको के बाहर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. भीड़ पर काबू पाने के लिए अशोका रोड़ स्थित पंजाब नेशनल बैंक की ब्रांच ने लोगों को टोकन जारी करने का तरीका अपनाया. पीएनबी ने अपनी ब्रांच के ग्राहकों को एक टोकन जारी किया, जिससे ये पता चल सके कि क्या उनका अकाउंट उस शाखा में है या नहीं.

पीएनबी की तरह ये व्यवस्था कई दूसरे बैंकों में भी दिखाई दी, क्योंकि बैंकों को भी महीने की पहली तारीख को ज्यादा लोगों के बैंक पहुचने की उम्मीद थी. हालांकि सूत्रों के मुताबिक जितने कैश की जरूरत बैंकों को पहली तारीख के हिसाब से थी, उतना कैश बैकों में पहुंचा ही नहीं, जबकि सैलरी का दिन होने की वजह से भीड़ रोज के मुकाबले ज्यादा रही.

केंद्रीय कर्मचारी सुमित कुमार ने बताया कि बैंक की तरफ से उन्हें लाइन में ही बता दिया गया कि 24 हज़ार रुपए कैश नहीं मिलेंगे, क्योंकि कैश कम है और लोग ज्यादा. इसलिए बैंक ने दस हज़ार रुपए कैश की लिमिट फिक्स कर दी है. मतलब सरकार की तय की गई सीमा से आधा कैश भी लोगों को नहीं मिल रहा है.

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बैंकों ने तय की निकासी की लिमिट

कनॉट प्लेस और पार्लियामेंट स्ट्रीट के आसपास लगभग सभी बैंकों की हालत थी. कम कैश होने की वजह से बैंकों ने अपनी तरफ से ही कैश की लिमिट तय कर दी. कई जगह ये दस हज़ार रुपए थी, तो कई जगह पांच हज़ार से दो हज़ार तक भी थी. SBI की ब्रांच से पैसे निकालकर लाए एक शख्स ने तो बताया कि वो अपने चेक में 15 हजार की रकम भरकर ले गए थे, लेकिन बैंक वालों ने उसे कटवाकर उसी चेक से सिर्फ पांच हजार निकालकर दिए.

वहीं कनॉट प्लेस की आईसीआई बैंक ब्रांच के बाहर भी चेक में भरी रकम से कम रकम लोगों को मिली. सैलरी अकाउंट से भी 24 के बजाए कम पैसे दिए गए. मुकेश कुमार के मुताबिक उन्हें ज्यादा कैश की जरूरत थी, उनके लिए 24 हजार की रकम भी कम थी, लेकिन बैंक ने उन्हें सिर्फ आठ हजार रुपए दिए.

गौरतलब है कि पहली तारीख को इंतजाम के आरबीआई और सरकार के दावे लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे, क्योंकि न सिर्फ लाइन लंबी हुई बल्कि कैश में भी कटौती कर दी गई.

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