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नहीं होगा प्रदूषण, ऐसे खाद में बदल जाएगी पराली, दिल्ली में बायो डिकम्पोजर का छिड़काव शुरू

हिरनकी गांव के 1 हेक्टेयर (ढाई एकड़) धान के खेत में 500 लीटर बायो डिकम्पोजर का छिड़काव किया जा रहा है. 1 हेक्टेयर खेत मे में छिड़काव के लिए 25 लीटर बायो डिकम्पोजर के साथ 475 लीटर पानी मिलाया जाता है.

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बायो डिकम्पोजर का छिड़काव
बायो डिकम्पोजर का छिड़काव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नरेला के हिरनकी गांव में छिड़काव
  • CM अरविंद केजरीवाल ने की शुरुआत

दिल्ली में नरेला के हिरनकी गांव में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान(पूसा इंस्टीट्यूट) द्वारा तैयार बायो डिकम्पोजर का छिड़काव शुरू हुआ. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पूसा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के साथ बायो डिकम्पोजर के छिड़काव की शुरुआत की.

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हिरनकी गांव के 1 हेक्टेयर (ढाई एकड़) धान के खेत में 500 लीटर बायो डिकम्पोजर का छिड़काव किया जा रहा है. 1 हेक्टेयर खेत मे में छिड़काव के लिए 25 लीटर बायो डिकम्पोजर के साथ 475 लीटर पानी मिलाया जाता है. दिल्ली में अबतक डेढ़ हजार एकड़ पर छिड़काव के लिए किसानों की अनुमति मिल गयी है.

इस मौके पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पराली जलाने की समस्या से निजात पाने के लिए पूसा इंस्टिट्यूट ने घोल बनाने का तरीका निकाला है. आज से 10 दिन पहले ये प्रक्रिया शुरू हुई थी. आज घोल बनकर तैयार हो गया है. दिल्ली में लगभग 700-800 हेक्टेयर जमीन है, जहां नॉन बासमती धान उगाई जाती है. वहां पराली होती है, जिसे कई बार जलाना पड़ता था. अब ये घोल छिड़का जाएगा और 20-25 दिन के अंदर ये सारी पराली खाद में तब्दील हो जाएगी. सारा इंतजाम हो गया है.

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सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि इसका फायदा होगा. अभी तक किसान पराली को जलाया करते थे, जलाने से ज़मीन में जो उपयोगी बैक्टेरिया होते थे, वो भी मर जाया करते थे. अब इनको खाद भी कम इस्तेमाल करनी होगी और ज़मीन की उर्वरता बढ़ेगी और पैदावार भी बढ़ेगी. 

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सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे चिंता इस बात की है कि आस-पास के राज्यों में फिर से पराली जलाने का काम शुरू हो गया है, जिसकी वजह से धुआं धीरे-धीरे दिल्ली पहुंचने लगा है. पिछले 10 महीने से दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण में थे, लेकिन अब फिर पॉल्युशन बढ़ने लगा है. मुझे चिंता दिल्ली के लोगों की है, पंजाब और हरियाणा के लोगों की है

क्या है ये तकनीक?
पराली को खाद में बदलने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने 20 रूपए की कीमत वाली 4 कैप्सूल का एक पैकेट तैयार किया है.प्रधान वैज्ञानिक युद्धवीर सिंह ने कहा कि 4 कैप्सूल से छिड़काव के लिए 25 लीटर घोल बनाया जा सकता है और 1 हेक्टेयर में इसका इस्तेमाल कर सकते हैंय सबसे पहले 5 लीटर पानी मे 100 ग्राम गुड़ उबालना है और ठंडा होने के बाद घोल में 50 ग्राम बेसन मिलाकर कैप्सूल घोलना है.

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इसके बाद घोल को 10 दिन तक एक अंधेरे कमरे में रखना होगा, जिसके बाद पराली पर छिड़काव के लिए पदार्थ तैयार हो जाता है. इस गोल को जब पराली पर छिड़का जाता है तो 15 से 20 दिन के अंदर पराली गर्मी शुरू हो जाती है और किसान अगली फसल की बुवाई आसानी से कर सकता है. आगे चलकर यह पराली पूरी तरह गलकर खाद में बदल जाती है और खेती में फायदा देती है.

अनुसंधान के वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसी भी कटाई के बाद ही छिड़काव किया जा सकता है. इस कैप्सूल से हर तरह की फसल की पराली खाद में बदल जाती है और अगली फसल में कोई दिक्कत भी नहीं आती है. कैप्सूल बनाने वाले वैज्ञानिकों ने पर्याप्त कैप्सूल के स्टॉक होने का दावा किया है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, पराली जलाने से मिट्टी के पौषक तत्व भी जल जाते हैं और इसका असर फसल पर होता है. युद्धवीर सिंह ने कहा कि ये कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा बनाया गया है. ये कैप्सूल 5 जीवाणुओं से मिलाकर बनाया गया है, जो खाद बनाने की रफ़्तार को तेज़ करता है.

 

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