दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly) में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता समेत बीजेपी के 7 विधायकों ने याचिका दायर कर गुहार लगाई है कि कोर्ट दिल्ली सरकार को कैग की 12 रिपोर्ट एलजी को भेजने का निर्देश दें, जिससे इन्हें विधानसभा के पटल पर रखा जा सके. दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की याचिका पर दिल्ली सरकार, दिल्ली विधानसभा स्पीकर, CAG और एलजी ऑफिस को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा है.
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस संजीव नरूला की सिंगल जज बेंच इस मामले पर अब 9 दिसंबर को सुनवाई करेगी. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि ये याचिका राजनीतिक मकसद से दाखिल की गई है.
याचिका में क्या दलील रखी गई?
याचिकाकर्ताओं के वकील नीरज और सत्य रंजन स्वाइन ने दलील दी कि विधायकों ने इस बाबत मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष से पहले भी संपर्क कर अपनी मांग रखी थी लेकिन कोई एक्शन नहीं होने से उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. जनता से जुड़ी जानकारी दबाना लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है और जनता के प्रति अपराध भी है. इससे सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही, पारदर्शिता और सरकारी धन के प्रति लापरवाही भरे रवैए की भी आशंका जनता को होती है.
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साल 2017-18 से 2021-22 के बीच की ये रिपोर्ट शराब सप्लाई, प्रदूषण और वित्त विभाग जैसे अहम मामलों से जुड़ी हुई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि ये रिपोर्ट वित्त मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रही मुख्यमंत्री आतिशी के पास पेंडिंग है और एलजी के बार-बार गुजारिश के बावजूद ये रिपोर्ट उन्हें नहीं भेजी गई है. कोर्ट में याचिका दायर करने वाले विधायकों में दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता, मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन शामिल हैं.