बहस के दौरान बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने AAP सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके सांसद भगवंत मान इस बहस में शामिल नहीं हुए. वहीं, AAP ने पलटवार करते हुए ट्वीट किया कि नीतियों को बनाने और वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए एक ही मंच का उपयोग क्यों नहीं किया गया. प्रदूषण पर संसदीय बैठकों में क्यों नहीं शामिल होते?
Delhi BJP MP Parvesh Sahib Singh Verma made sickening remarks against @ArvindKejriwal in the temple of democracy i.e. the parliament
Why not use the same stage to make policies and curb the air pollution?
AdvertisementWhy not attend parliamentary meetings on pollution?#PhirGayabBJP pic.twitter.com/EAl1BescCt
— AAP (@AamAadmiParty) November 19, 2019
पहले मुख्यमंत्री खांसते थे, आज सब खांसते हैं
वहीं, सदन में बहस के दौरान सांसद प्रवेश सिंह ने कहा कि 5 साल पहले केवल दिल्ली के मुख्यमंत्री खांसते थे और आज सब खांसते हैं. वो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से मिलने, बनारस में चुनाव लड़ने चले जाते हैं, लेकिन दिल्ली की जनता से नहीं मिलते. दिल्ली में कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी बहुत हो रही है. कांग्रेस सरकार में बनी योजना पर अब काम हो रहा है, फ्लाई ओवर बन रहा है, वहां किसी नॉर्म्स को फॉलो नहीं किया जा रहा है.
मास्क बांट रहे हैं, लेकिन काम का नहीं
सांसद प्रवेश सिंह ने कहा कि दिल्ली में एयर प्यूरीफायर की सेल बढ़ गई. लोग दिल्ली छोड़कर जाना चाहते हैं. मुख्यमंत्री मास्क बांट रहे हैं, जो मास्क प्रदूषण से लड़ने में कोई मदद नहीं करता. दिल्ली के हर चौथे आदमी को मास्क बांटने के लिए टेंडर किया लेकिन किसे मिला पता नहीं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में 200 दिन वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर रहती है, जबकि पराली मुश्किल से 40 दिन जलती है. मुख्यमंत्री ऑड-इवन को लेकर अपनी तारीफ कर रहे हैं और दूसरों पर सिर्फ आरोप लगा रहे हैं.
चुनाव के हिसाब से देखना बुरा होगाः गंभीर
दिल्ली पूर्व से बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि आइडिया जनता को साफ हवा देने का होना चाहिए. पराली पर रोक ही एकमात्र विकल्प नहीं है. एक-दूसरे को ब्लेम करने से या इसे चुनाव के हिसाब से देखने से बहुत बुरा होगा.
इधर, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि रचनात्मक तरीके से इस पर काम किया जाना चाहिए. इस पर एक्शन प्लान बनाया जाना चाहिए. दूसरे देशों के शहरों की हवा साफ हो सकती है तो भारत के 15 महानगरों की क्यों नहीं. सरकार कुछ घोषणा करती है या कुछ एक्शन प्लान का जिक्र करती है तो उस पर अमल करने की रणनीति की भी सदन में चर्चा होनी चाहिए.