एमसीडी चुनाव नजदीक आते ही दिल्ली में चुनावी सरगर्मियां बढ़ने लगी है. इसको देखते हुए बीजेपी ने एमसीडी के लिए एक्शन प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है. दरअसल पिछले 10 साल से एमसीडी में बीजेपी की सत्ता है. जिसे देखते हुए बीजेपी ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है क्योंकि इस बार के चुनाव में एक ओर बीजेपी को सत्ता विरोध लहर का सामना करना है, वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव के बाद AAP से निपटना भी चुनौतीपूर्ण होगा.
बीजेपी इस बार अपने 50 फीसदी से ज्यादा मौजूदा पार्षदों का टिकट काट सकती है और नए लोगों को मौका दे सकती है. वहीं टिकट देने में उम्र का विशेष ध्यान रखा जाएगा. जिसमें 45 साल से ज्यादा उम्र के उम्मीदवारों को टिकट मिलना मुश्किल हो सकता है. साल 2012 में 272 में से बीजेपी ने 155 सीटें जीती थीं लेकिन बंटवारे के बाद एमसीडी को तीन भागों में बांट दिया गया. जिसके बाद दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 104-104 सीटें रह गई हैं.
पूर्वी दिल्ली में अब 64 सीटें हैं. बीजेपी चुनाव जीतने के लिए हर संभव कोशिश करने में जुटी है. बीजेपी के सामने बड़ी दिक्कत ये है अगर वो अपने पार्षदों की टिकट काटती है तो उसे भीतरघात और बगावत का सामना भी करना पड़ सकता है. बीजेपी अपने कार्यकर्ताओ को ये समझाना चाहती है कि अगर उम्र की वजह से टिकट काटा गया तो वो पार्टी से बगावत का सहारा ना लें. वहीं कुछ पुराने और बड़े नेताओं को इसमे छूट मिल सकती है. इस बार के चुनाव में कांग्रेस के साथ-साथ दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी में एमसीडी चुनावों में ताल ठोकने को तैयार है जिससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं.