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EXCLUSIVE: दिल्ली बॉर्डर पर जाम ने लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई में अटकाए रोड़े

दिल्ली में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मैनुफैक्चरिंग नहीं होती है. इसलिए दिल्ली के ज्यादातर अस्पतालों में यूपी, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की गाड़ियां आती हैं.

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कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन की डिमांड ज्यादा (File Photo)
कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन की डिमांड ज्यादा (File Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसान आंदोलन की वजह से ट्रैफिक ज्यादा
  • लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई में होती है देरी

दिल्ली में कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन की डिमांड ज्यादा है. ड्रग डिपार्टमेंट के नोडल अफसर लगातार नजर बनाए रखते हैं कि ऑक्सीजन समय से पहुंचे. इसी बीच किसान आंदोलन की वजह से सप्लाई करने में पहले से ज्यादा वक्त लग रहा है. हरियाणा और पानीपत से लिक्विड ऑक्सीजन की गाड़ी जो आम दिनों में 7 घंटे में आती थी वो 12 घंटे में आ रही है.

दरअसल, दिल्ली में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मैनुफैक्चरिंग नहीं होती है. इसलिए दिल्ली के ज्यादातर अस्पतालों में यूपी, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की गाड़ियां आती हैं.

दिल्ली के 40-50 प्रतिशत अस्पतालों में लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहे तरुण सेठ की पलवल में मैनुफैक्चरिंग यूनिट है. तरुण ने बताया कि आंदोलन शुरू होते ही दिक्कत आई थी. फिर ड्रग डिपार्टमेंट के नोडल अफसरों को जानकारी दी गई और पुलिस ने गाड़ियों को पास करवाया. सप्लाई के लिए डबल, ट्रिपल गाड़ियां लगा रखी हैं. किसान आंदोलन शुरू होते ही युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं.

लिक्विड ऑक्सीजन वेंडर अजय ने बताया कि वो दिल्ली-एनसीआर में लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई करते हैं. 3 दिसंबर को दोपहर के 2 बजे नेशनल हाइवे 24 के जाम में एक घंटे तक गाड़ी फंसी रही जिसे ग्रेटर नोएडा की तऱफ मोड़ दिया गया जबकि उसे गाजियाबाद के वैशाली, वंसुधरा की तरफ जाना था.

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INOX AIR PRODUCTS के एक जीएम ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि नोएडा से दिल्ली सप्लाई जा रही है तो तीन से 4 घंटे ज्यादा लग रहे हैं. कई बार ट्रिप पूरा नही हो रहा है तो रात को लेट नाइट सप्लाई करनी पड़ रही है लिमिटेड स्टॉक वाले अस्पतालो में एक्स्ट्रा प्रीकॉशन लिया जा रहा है.   

वहीं AIIGMA के प्रेसीडंट साकेत टिक्कू कहते हैं कि देश की 90 फीसदी ऑक्सीजन गैस की मैनुफैक्चर और सप्लाई देश में AIIGMA की तरफ से की जा रही है. इसके 51 ऑफिसर्स और कंट्रोल रूम लगातार नजर बनाए हुए हैं. साकेत का कहना है कि किसान आंदोलन शुरू होते ही रिपोर्ट आई थी कि ऑक्सीजन सप्लाई की कुछ गाड़ियां जाम में फंसी हैं, जिन्हें पुलिस की मदद से बाहर निकाला गया. अभी तक किसी भी अस्पताल ने ऑक्सीजन ना पहुंचने या फिर रोकने की रिपोर्ट नहीं दी है.

देश में लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित कर रहा है DPIT

DPIT के ऑक्सीजन कमेटी के मेंबर साकेत ने कहा कि किसी भी प्रकार की ऑक्सीजन की कमी, किसी जिले या राज्य में नहीं मिल रही है तो वो Department for Promotion of Industry and Internal trade को सूचित करता है. तीन दिन पहले किसान आंदोलन में जब कुछ गाड़ियां फंसी थीं तो उसके बाद राज्य के सेक्रेटरी से बात करने के बाद मामला हल हुआ था.

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DPIT हर वक्त नजर रखता है कि ऑक्सीजन वाली गाड़ियां कई दिनों तक सड़क पर ही ना रुकी रहें. मालूम हो कि ज्यादातर अस्पताल के पास ऑक्सीजन लिक्विड का स्टाक होता है जो तीन से 4 दिन या फिर अधिक का होता है. ऑक्सीजन लिक्विड के स्टोरेज के बगैर अस्पतालों का काम नहीं चलेगा. साकेत ने कहा कि सितंबर-अक्टूबर में किसी भी अस्पताल में आक्सीजन की कमी नहीं हुई है.

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