दिल्ली में 3 हजार से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में खलबली मची हुई है. स्कूल मैनेजमेंट से लेकर बच्चे और उनके पेरेंट्स तक सभी घबराए हुए हैं. वजह है कि दिल्ली सरकार ने इन्हें बंद करने का आदेश दे दिया है. ये सभी स्कूल बजट स्कूल हैं यानी ऐसे स्कूल जो छोटे हैं, घरों में चलते हैं और जिन्हें मान्यता प्राप्त नहीं है. दरअसल दिल्ली सरकार ने एक सर्कुलर निकाल कर कहा है कि 31 मार्च तक ऐसे सभी स्कूल बंद कर दिए जाएंगे.
पूर्वी दिल्ली के एक ऐसे ही बजट स्कूल में 'आजतक' की टीम पहुंची जिसमें 300 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. दूर से देखने से ऐसा लगा कि स्कूल में पढ़ाई का स्तर ज्यादा अच्छा नहीं होगा लेकिन जब क्लास में जाकर देखा तो हैरानी हुई. बच्चे किसी बड़े प्राईवेट स्कूलों की तरह ही अंग्रेजी में बात करते मिले. हालांकि यहां पर आने वाले ज्यादातर पेरेंट्स गरीब तबके से आते हैं, जिनकी मासिक आय 5 से 10 हजार रुपये ही है.
स्कूल में अपने बच्चे को पढ़ाने वाले एक पेरेंट ने बताया कि घर के मुखिया प्राइवेट नौकरी करते हैं और सैलरी 8000 रूपये है. ऐसे में मजबूरी में बच्चे को घर के पास के ही एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे है. ज्यादातर पेरेंट्स कहते हैं कि सरकारी स्कूल तो पास में है लेकिन वहां की शिक्षा किसी से छुपी नहीं हुई है यहां बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल रही है और बच्चे सामने निगरानी में भी हैं.
वहीं स्कूल चलाने वाले लोगों का कहना है कि हम आज ही स्कूल बंद करने को तैयार हैं अगर सरकार इन बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने की गारंटी ले. कई स्कूल संचालकों का कहना है कि वह नो प्रोफिट नॉलेज की तर्ज पर यह स्कूल चलाते हैं प्रति बच्चे महज 300 से 400 फीस लेते हैं, ऐसे में स्कूल बंद होने से शिक्षकों की नौकरी भी चली जाएगी.
दरअसल दिल्ली के इन बजट स्कूलों में 10 लाख बच्चे पढ़ते हैं तो वहीं तकरीबन 30 हजार शिक्षक इन स्कूलों से जुड़े हुए हैं. ऐसे में स्कूल बंद होने से बच्चों के साथ-साथ इतने शिक्षकों के रोजगार पर भी असर पड़ेगा. अगर ये फैसला लागू किया गया तो ना केवल दस लाख बच्चों पर बड़ा असर पड़ने वाला है बल्कि हजारों परिवारों पर रोजगार का भी संकट हो सकता है.