दिल्ली में दुकानों की सीलिंग से परेशान व्यापरियों ने हड़ताल का रास्ता अपनाया है. चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री से जुड़े व्यापारियों ने कनॉट प्लेस में एक बैठक के दौरान सीलिंग पर चर्चा की और फैसला किया कि 23 जनवरी को दिल्ली के तमाम बड़े बाजारों में व्यापार ठप्प करेंगे.
चैम्बर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के व्यापरियों ने चेतावनी दी है कि अगर एमसीडी और केंद्र सरकार 31 जनवरी तक पूरी तरह सीलिंग की कार्रवाई नहीं रोकते हैं तो इसके खिलाफ अनिश्चितकालीन व्यापार ठप्प किया जाएगा.
सीलिंग के विरोध में दिल्ली के ये बड़े मार्किट होंगे बंद -
कश्मीरी गेट, मोरी गेट, चांदनी चौक, भगीरथ प्लेस, चावड़ी बाजार, गांधी नगर, खरी बावली, नेहरू प्लेस, करोल बागहाथ में कटोरा, शरीर पर ताले लपेटकर करेंगे विरोध
चैम्बर ऑफ ट्रेड एंड इंड्रस्ट्री के साथ-साथ आम आदमी पार्टी ट्रेड विंग के कन्वीनर बृजेश गोयल ने बताया कि 450 ट्रेड एसोसिएशन में से 370 ने दिल्ली बंद और व्यापार ठप्प ने सहमति जताई है. गोयल का दावा है कि दिल्ली में 30 इंड्रस्ट्रीयल इलाके हैं, इनमें से 20 से ज्यादा इंडस्ट्री ने सीलिंग के खिलाफ बंद का समर्थन किया है. इसके अलावा तमाम व्यापारी 23 जनवरी को सीलिंग के खिलाफ हाथ में कटोरा और शरीर में ताले लपेटकर विरोध प्रदर्शन भी करेंगे.
कन्वर्जन चार्ज पर सवाल
सीलिंग से परेशान व्यापारी अब एमसीडी द्वारा वसूले जा रहे कन्वर्जन चार्ज पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. व्यापारी संदीप खंडेलवाल का दावा है कि आरटीआई के जरिए जानकरी में पता चला कि पिछले 12 वर्षों में कन्वर्जन चार्ज को पार्किंग से लेकर पर्यावरण पर खर्च होना था, लेकिन एमसीडी ने फंड का बेजा इस्तेमाल किया है.
आरटीआई के मुताबिक ओल्ड एज पेंशन, स्कॉलरशिप, सैलरी, नॉन प्लान, लोन एकाउंट में कन्वर्जन चार्ज का पैसा खर्चा हुआ.
आरटीआई से जानकारी जुटाने वाले संदीप खंडेलवाल के मुताबिक साल 2010 से लेकर 2015 के बीच 3 हजार करोड़ रुपए खर्च किए. बैंक की डिटेल उनके पास मौजूद है. इसके अलावा पिछले 5 साल में 12 बड़े बाजार से कन्वर्जन चार्ज के 900 करोड़ का आंकड़ा भी व्यापारियों ने जारी किया है.
सदर बाजार ट्रेड एसोसिएशन से जुड़े राकेश कुमार यादव ने बेहद दिलचस्प जानकारी दी. राकेश कुमार यादव के मुताबिक सदर बाजार एक मुगलकालीन बाजार है. यहां के व्यापारियों के पास 1850 से अबतक के सबूत हैं. साल 1905 में विल्सन सर्वे हुआ था, तब विक्टोरिया महारानी ने सदर को बाजार घोषित किया था. लेकिन हाल ही में जब सीलिंग के दौरान अधिकारियों को कागजात दिखाए गए तो उन्होंने खुद गूंगा और बहरा बताते हुए कागज नहीं देखे.