बौद्ध महासभा में हिंदू देव-देवताओं को नहीं मानने की शपथ लेने वाले दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम पर बीजेपी पर हिंदू संगठन लगातार हमलावर हैं. बीती रात को उनके आवास के बाहर हिंदू संगठनों ने भगवा झंडा लगाया और जमकर नारेबाजी की.
हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने की शपथ लेने और दिलाने वाले दिल्ली के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम पर बीजेपी लगातार हमलावर है. बीती रात हिंदू संगठनों ने उनके आवास के बाहर भगवा झंडा लगाकर नारेबाजी की. दिल्ली पुलिस ने बताया कि इनमें भारताय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के कार्यकर्ता भी शामिल थे.
पुलिस ने बताया कि राजेंद्र पाल गौतम के आवास के बार इन कार्यकर्ताओं ने करीब 10 मिनट तक प्रदर्शन किया. पुलिस के कहने पर सभी कार्यकर्ता वहां से चले गए, इसलिए किसी को भी हिरासत में नहीं लिया गया.
दरअसल बीते दिनों कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम बौद्ध महासभा के आयोजन में शामिल हुए थे, जिसमें हिंदुओं के देवी-देवताओं को नहीं मानने की शपथ दिलाई गई. उस समय मंच पर राजेंद्र पाल गौतम भी मौजूद थे और वो भी शपथ ले रहे थे. इसको लेकर बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को घेर लिया था. बीजेपी प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा कि जहां चुनाव होते हैं वहां केजरीवाल और उनके नेता जय श्री राम और कृष्ण कहते थकते नहीं, लेकिन जहां सत्ता में होते हैं वहां ऐसा अपमान.
VHP ने भी उठाए सवाल
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने भी आम आदमी पार्टी पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि जिहादी तुष्टीकरण व ईसाई मिशनरियों के संरक्षण के साथ अब आप सरकार दिल्ली में धर्मांतरण के सार्वजनिक अड्डे भी चलाने लगी? दिल्ली के मंत्री स्वयं हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ शपथ दिला रहे हैं. राजनीति का निकृष्टम हिंदू द्रोही चेहरा और क्या होगा!!
राजेंद्र पाल गौतम ने दिए जवाब
इसका जवाब देते हुए कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा था कि 1956 से आजतक देश और दुनिया में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली जाती है. हर साल ये कार्यक्रम आयोजित होता है. नागपुर में जहां बाबा साहेब अम्बेडकर ने दीक्षा ली थी, वहां हर साल 15 से 20 लाख लोग इकट्ठे होते हैं. गुजरात, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, बिहार में कार्यक्रम आयोजित हुए हैं.
बाबा साहेब ने ली थी 22 प्रतिज्ञा
दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री ने बताया कि बाबा साहेब अम्बेडकर ने ज़ब दीक्षा ली थी तो उन्होंने 22 प्रतिज्ञा ली थी. किसी की आस्था या धर्म को ठेस पहुंचाना मकसद नहीं है. प्रतिज्ञाओं का एक ही मकसद है कि भारत मजबूत हो और जातिवाद मुक्त भारत बने. भारत में दलितों के साथ उत्पीड़न बढ़ गया, इसलिए आज ये दीक्षा का चलन बढ़ गया है.