scorecardresearch
 

14 अस्पतालों में ICU नहीं, 12 से एम्बुलेंस नदारद, मोहल्ला क्लिनिक में टॉयलेट भी नहीं... दिल्ली की 'सेहत' पर CAG रिपोर्ट से बड़े खुलासे

दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सीएजी रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में कई खामियों और कुप्रबंधन को उजागर किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के 14 अस्पतालों में आईसीयू नहीं है जबकि 12 अस्पतालों में एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है.

Advertisement
X
दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिक की फाइल फोटो
दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिक की फाइल फोटो

दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक, सीएजी रिपोर्ट ने 6 साल के दौरान दिल्ली की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में गंभीर कुप्रबंधन, वित्तीय लापरवाही और जवाबदेही की कमी को उजागर किया है.

Advertisement

सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के 14 अस्पतालों में आईसीयू नहीं है जबकि 12 अस्पतालों में एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है और मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है. 

CAG रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 से निपटने के लिए केंद्र सरकार से मिले 787.91 करोड़ रुपये में से सिर्फ 582.84 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए, जबकि बाकी राशि बिना उपयोग के रह गई. इसके चलते कोरोना संकट के दौरान जरूरी सुविधाओं की भारी कमी रही.

दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 से निपटने के लिए केंद्र सरकार से मिले 787.91 करोड़ रुपये में से सिर्फ 582.84 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए, जबकि बाकी राशि बिना उपयोग के रह गई. इसके चलते कोरोना संकट के दौरान जरूरी सुविधाओं की भारी कमी रही.

Advertisement

यह भी पढ़ें: आम आदमी पार्टी के लिए जी का जंजाल बन सकती है सीएजी रिपोर्ट पर हाईकोर्ट की टिप्पणी

फंड की अनदेखी और भ्रष्टाचार के आरोप
रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य कर्मचारियों की भर्ती और वेतन के लिए मिले 52 करोड़ रुपये में से 30.52 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए. इससे साफ है कि सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों की पर्याप्त भर्ती नहीं की, जिससे महामारी के दौरान लोगों को इलाज में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इसी तरह दवाओं, पीपीई किट और अन्य मेडिकल सप्लाई के लिए मिले 119.85 करोड़ में से 83.14 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं हुए.

सरकारी अस्पतालों में बेड की भारी कमी
दिल्ली सरकार ने 2016-17 से 2020-21 के बीच 32,000 नए बेड जोड़ने का वादा किया था, लेकिन सिर्फ 1,357 बेड ही जोड़े गए, जो कि कुल लक्ष्य का मात्र 4.24% है. राजधानी के कई अस्पतालों में बेड की भारी कमी देखी गई, जहां बेड ऑक्यूपेंसी 101% से 189% तक रही, यानी एक ही बेड पर दो-दो मरीजों को रखा गया या मरीजों को फर्श पर इलाज कराना पड़ा.

अस्पतालों की परियोजनाओं में देरी और लागत में भारी इजाफा
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दिल्ली में तीन नए अस्पताल बनाए गए, लेकिन सभी प्रोजेक्ट पहले की सरकार के कार्यकाल में शुरू हुए थे. इनके निर्माण में 5 से 6 साल तक की देरी हुई और लागत भी बढ़ गई.

Advertisement

-इंदिरा गांधी अस्पताल: 5 साल की देरी, लागत 314.9 करोड़ रुपये बढ़ी.
- बुराड़ी अस्पताल: 6 साल की देरी, लागत 41.26 करोड़ रुपये बढ़ी.
- एमए डेंटल अस्पताल (फेज-2): 3 साल की देरी, लागत 26.36 करोड़ रुपये बढ़ी.

डॉक्टरों और स्टाफ की भारी कमी
-दिल्ली के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य विभागों में 8,194 पद खाली पड़े हैं.
-नर्सिंग स्टाफ की 21% और पैरामेडिकल स्टाफ की 38% कमी है.
-राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डॉक्टरों की 50-74% कमी पाई गई.
-नर्सिंग स्टाफ की 73-96% तक भारी कमी दर्ज की गई.

यह भी पढ़ें: दिल्ली आबकारी नीति मामले में PAC के पास भेजी जाएगी CAG रिपोर्ट, बढ़ सकती हैं केजरीवाल-सिसोदिया की मुश्किलें

सर्जरी के लिए लंबा इंतजार, कई उपकरण खराब

-लोक नायक अस्पताल में बड़ी सर्जरी के लिए 2-3 महीने और बर्न व प्लास्टिक सर्जरी के लिए 6-8 महीने का इंतजार करना पड़ा.
-चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय (CNBC) में पीडियाट्रिक सर्जरी के लिए 12 महीने का इंतजार करना पड़ा.
-CNBC, RGSSH और JSSH जैसे अस्पतालों में कई एक्स-रे, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड मशीनें बेकार पड़ी रहीं.

जरूरी सेवाओं की कमी और बदहाल मोहल्ला क्लीनिक
-27 अस्पतालों में से 14 में ICU सेवा उपलब्ध नहीं थी.
-16 अस्पतालों में ब्लड बैंक की सुविधा नहीं थी.
-8 अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं थी.
-12 अस्पतालों में एंबुलेंस की सुविधा नहीं थी.
-CATS एंबुलेंस भी जरूरी उपकरणों के बिना चलाई जा रही थीं.

Advertisement

मोहल्ला क्लीनिकों की स्थिति भी खराब पाई गई:
-21 मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय नहीं थे.
-15 क्लीनिकों में बिजली बैकअप की सुविधा नहीं थी.
-6 क्लीनिकों में डॉक्टरों के लिए टेबल तक नहीं थी.
-12 क्लीनिकों में दिव्यांगों के लिए कोई सुविधा नहीं थी.

CAG रिपोर्ट ने दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत उजागर कर दी है. कोविड काल में सरकार द्वारा मिले फंड का सही इस्तेमाल नहीं करना, अस्पतालों में जरूरी सुविधाओं की भारी कमी, स्टाफ की भारी किल्लत और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है. जनता के स्वास्थ्य से जुड़ी इस लापरवाही को लेकर अब सरकार को जवाब देना होगा.

Live TV

Advertisement
Advertisement