सीबीएसई की 12वीं के नतीज़ों के मामले में बदहाली के बावजूद इस बार दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने प्राइवेट स्कूलों को मात दे दिया है. इस बार सरकारी स्कूलों का रिजल्ट 90.7 प्रतिशत रहा, जबकि प्राइवेट स्कूलों का रिजल्ट 88 प्रतिशत रहा है.
सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी और बुनियादी ढांचे की खस्ताहालत किसी से छुपी नहीं. मगर इन सब खामियों के बावजूद दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों ने उम्मीदों से कही ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर प्राइवेट स्कूलों को कड़ी टक्कर दी है. आज कहानी ऐसे ही हुनर की, जिन्होंने लाख परेशानियों के बावजूद अच्छे अंक हासिल कर मिसाल कायम की.
बदल गई सोच
रोहिणी सेक्टर 8 के सर्वोदय को-एड विद्यालय में साइंस स्ट्रीम के सौरभ ने 12वीं में 96 प्रतिशत अंक हासिल कर अपने परिवार के साथ स्कूल का नाम रोशन किया है. सौरभ के पिता दिल्ली पुलिस में एएसआई हैं और बड़ा भाई दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन कर रहा है. 10वीं कक्षा तक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले सौरभ ने जब 11वीं में सरकारी स्कूल में दाखिला लिया तो शुरुआत उनके लिए आसान नहीं थी.
सौरभ ने कहा, 'सरकारी स्कूल होने के बावजूद सबसे खास यहां के शिक्षक हैं. इन शिक्षकों का मार्गदर्शन और पिता के प्रोत्साहन का ही नतीजा है कि मैंने इतने अच्छे अंक हासिल किए और अब आईआईटी के रिजल्ट का इंतज़ार है.'
आर्थिक तंगी नहीं बनी बाधा
सौरभ की तरह प्रतीक ने कॉमर्स स्ट्रीम में 95 प्रतिशत अंकों के साथ स्कूल टॉप किया है.आर्थिक तंगी के कारण प्रतीक को सरकारी स्कूल में दाखिला लेना पड़ा. मां का परिश्रम और स्कूल में शिक्षकों के सही मार्गदर्शन ने प्रतीक को आज इस मुकाम पर पहुंचाया है. उसका मानना है कि अब दिल्ली के सरकारी स्कूल किसी भी मायने में प्राइवेट से कमतर नहीं हैं.
शिक्षकों को दिया सफलता का श्रेय
रोहिणी सेक्टर 7 की रहने वाली सिमरन बचपन से ही सरकारी स्कूल में पढ़ी हैं. 95 प्रतिशत अंक हासिल करने का श्रेय वह अपने शिक्षकों को देती हैं. उनका कहना है कि अब सरकारी स्कूल की दशा और दिशा दोनों ही बदल रही है. शिक्षकों के साथ साथ स्कूलों के बुनियादी ढांचे भी बेहतर हो गए हैं.
बेहतर हुआ माहौल
रोहिणी के सर्वोदय विद्यालय के प्रिंसिपल ए के झा ने बताया, 'सरकारी स्कूलों के हालात अब बदल रहे हैं. इसका श्रेय पूरे एजुकेशन सिस्टम को जाता है. स्कूलों में बेहतर क्लासरूम हो, तकनीकी रूप से समृद्ध लैब्स और साफ सुथरे वाशरूम. इन सब चीज़ों के लिए अब सरकार पैसे खर्च करने को तैयार है. जरूरत है ईमानदार कोशिश की. अब दिल्ली सरकार के प्रोत्साहन के बाद सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने की होड़ लगी है.