दिल्ली के पूर्व चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश पर हुए हमले के मामले में दिल्ली पुलिस को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि इस मामले के गवाह के बयानों की एक कॉपी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी उपलब्ध कराई जाए.
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फरवरी 2018 में आधी रात को बुलाई गई मीटिंग के बाद, दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी रहे अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और ग्यारह विधायकों ने उनके साथ हाथापाई की थी.
इस घटना में केजरीवाल के सलाहकार वीके जैन ने गवाह के तौर पर बयान दिया था, उस बयान की प्रति सीएम, डिप्टी सीएम और विधायकों को उपलब्ध कराए जाने का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया था. अब दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा है.
हाईकोर्ट का निर्णय एकदम सही- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अपराधिक न्यायिक व्यवस्था में ये लाजिमी है कि अभियोजन पक्ष, चार्जशीटेड लोगों को गवाह के बयान की प्रति मुहैया कराए ताकि वो अपना समुचित बचाव कर सकें. इस मामले में जस्टिस DY चंद्रचूड और MR शाह ने कहा है- राजनीतिक रूप से ये मुद्दा गर्मागर्म (hot potato) हो सकता है. लेकिन मेरिट के हिसाब से देखा जाए तो हाईकोर्ट ने एकदम सही निर्णय दिया था.
दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट का मामला!
19 फरवरी की देर रात एक बैठक बुलाई गई, जिसमें मुख्य सचिव अंशु प्रकाश भी शामिल हुए थे, ये बैठक दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास पर हुई थी. अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल के सामने ही AAP विधायकों ने उनके साथ मारपीट की थी. हालांकि वहां मौजूद रहे पूर्व विधायक संजीव झा ने अंशु प्रकाश के आरोप को गलत बताया था. संजीव झा का कहना था कि महज 3 मिनट में उनके साथ मारपीट कैसे हो सकती है.
आपको बता दें कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट के मामले में विधायक प्रकाश जारवाल और अमानतुल्लाह खान समेत विधायक नितिन त्यागी, ऋतुराज गोविंद, संजीव झा, अजय दत्त, राजेश ऋषि, राजेश गुप्ता, मदन लाल, प्रवीण कुमार और दिनेश मोहनिया भी आरोपी हैं.