दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आशा किरण होम में मानसिक रूप से विकलांग लोगों की लगातार हो रही मौत की घटनाएं और वहां रहने की अमानवीय परिस्थितियों की खबरें आने के बाद सोमवार को मुख्य सचिव कुट्टी को चिट्ठी लिखी और निर्देश दिया कि वो आशा किरण मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें और जल्दी से जल्दी स्थिति को दुरूस्त करें. केजरीवाल ने पूरे मामले पर रिपोर्ट पेश करने के लिए मुख्य सचिव को एक हफ्ते का समय दिया.
इस बीच आज तक ने दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के निदेशक डीके मिश्रा से आशा किरण में हुई मौतों और महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के इस आरोप पर बात की कि उन्होंने दो मानसिक रूप से अक्षम महिलाओं को निर्वस्त्र घूमते देखा था. मिश्रा ने कहा कि ऐसी कोई बात या शिकायत उनके संज्ञान में नहीं आई है. मौतों के पीछे उन्होंने पहले से बीमार होने को वजह बताई.
केजरीवाल ने एक हफ्ते में मांगी रिपोर्ट
दूसरी तरफ आशा किरण की स्थिति पर निराशा जाहिर करते हुए अरविंद केजरीवाल ने समाज कल्याण विभाग की सचिव को भी आडे हाथ लिया जो इस गृह का संचालन करती हैं.
11 मौत, जो पिछले करीब दो महीने में हुईं उनपर उनकी चुप्पी का कारण पूछा. मुख्य सचिव एमएम कुट्टी को लिखे पत्र में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 'मीडिया और दिल्ली
महिला आयोग ने आशा किरण होम के बारे में जो बातें बताई हैं, उससे मैं पूरी तरह से निराश हूं. मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से सुनिश्चित करें कि ये सभी कमियां एक हफ्ते के
अंदर खत्म की जाएं जिससे दिल्ली महिला आयोग संतुष्ट हो.
केजरीवाल ने चीफ सेक्रेटरी से किए ये सवाल
1. इस बात की रिपोर्ट दें कि समाज कल्याण और महिला एवं बाल विकास विभागों की सचिव दिलराज कौर ने इससे पहले आशा किरण होम और मानिसक रूप से विकलांगों के लिए बने दो अन्य विकास गृहों का कितनी बार दौरा किया है?
2. आशा किरण होम में किसी भी मौत का मामला सामने लाए जाने पर उन्होंने क्या कदम उठाए?
3. इन गंभीर गड़बड़ियों को रोकने के लिए समाज कल्याण और महिला एवं बाल विकास ने क्या कदम उठाए?
4. आखिर क्यों समाज कल्याण और महिला एवं बाल विकास सचिव ने इन 11 मौतों की जानकारी सरकार को नहीं दी?
वहीं दिल्ली सरकार के ही सोशल वेलफेयर विभाग के डायरेक्टर डीके मिश्रा ने कहा कि हम लगातार सरकार को चिट्ठियां भेजते रहते हैं. इस पूरी समस्या पर सभी को विचार करने की जरूरत है.
मनीष सिसोदिया बोले-दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा
सोमवार शाम करीब 4 बजे आशा किरण होम का जायजा लेने पहुंचे डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया आज तक से बात करते हुए थोड़े डिफेंसिव नजर आए. चूंकि मामला खुद उनकी
सरकार की स्वाति मालीवाल ने उठाया था. इसलिए उन्होंने खुलकर ना तो अधिकारियों की आलोचना की और ना ही खुलकर उनका बचाव ही किया. सिसोदिया ने कहा कि
शुरुआती जानकारी के मुताबिक जिन 11 लोगों की मौत हुई है उनमें से ज्यादातर की हालत सर्वाइवल के लिए फिट नहीं थी.
उपमुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दे दिए हैं और ये भी कहा है कि यदि किसी अधिकारी को लापरवाही बरतने का दोषी पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा. हांलाकि
उन्होंने ये भी कहा कि आशा किरण होम लाए जाने वाले इनमेट्स में से ज्यादा बीमार ही होते हैं. ये भी देखना पड़ेगा कि उनका सर्वाइवल रेट क्या होता है.
दो महीने में हुईं 11 मौत
आपको बता दें कि सिर्फ बीते दो महीने, दिसंबर 2016 और जनवरी 2017 में ही आशा किरण में 11 मौतें हो चुकी हैं. इनमें से 5 मौतें आशा किरण होम के अंदर ही हुई और बाकी
6 की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई. हांलाकि आशा किरण में होने वाली मौतों का सिलसिला नया नहीं है. बीते दस सालों में ऐसा एक भी साल नहीं बीता जब यहां होने
वाली मौतों का आंकड़ा दहाई ना पहुंचा हो.
आशा किरण में हुई मौतों पर राजनीति शुरू
आशा किरण में बीते दो महीनों में हुई 11 मौतों पर जमकर राजनीति शुरू हो गई है. हांलाकि सत्ताधारी आमआदमी पार्टी और विपक्षी बीजेपी दोनों एक सुर में यही कह रहे हैं कि
ऐसे संवेदनशील मसले पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. सोमवार शाम डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के बाद आशा किरण का दौरा करने पहुंचे दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी
ने कहा कि आशा किरण में रह रहे बच्चे और वयस्क इनमेट्स को देखकर आंखें भर आती हैं. बच्चे यहां अमानवीय परिस्थितियों में रखे गए हैं. जहां महज 350 लोगों की जगह है
वहां 900 इनमेट्स रखे गए हैं. अंदर साफ सफाई का बुरा हाल है.
मनोज तिवारी ने दिल्ली सरकार पर साधा निशाना
मनोज तिवारी ने कहा कि बीजेपी आशा किरण में राजनीति करने नहीं आई है, बल्कि सरकार की आंखें खोलने आई है. हर साल यहां बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं लेकिन सरकार
के कान में जूं भी नहीं रेंगती. ये हालात तब हैं जब ये आमआदमी की सरकार होने का दावा करते हैं. बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने आशा किरण के अंदर घुसकर जमकर दिल्ली
सरकार का विरोध भी किया.
बीजेपी के स्थानीय पूर्व विधायक कुलवंत राणा ने सिसोदिया की कार रोक ली और जमकर नारेबाजी की. राणा ने कहा कि आशा किरण और दिल्ली की जनता का हाल तो तब दिखे जब सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का चुनावी चश्मा उतरे. इन्हें पंजाब-गोवा-गुजरात चाहिए. दिल्ली की जनता से इनका कोई लेना देना नहीं.