दिल्ली के नए सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपनी योजनाओं को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है. केजरीवाल बिना वक्त गंवाए जनहित से जुड़े मुद्दों पर बड़े फैसले लेना चाहते हैं. यही वजह है कि उन्होंने सीएम की कुर्सी संभालने के अगले ही दिन रविवार को जनता दरबार लगाया.
पहले की ही तरह अरविंद केजरीवाल कौशांबी में अपने घर से बाहर आए और जनता की शुभकामनाएं स्वीकार कीं. उन्होंने आम लोगों की समस्याएं सुनी, फिर उसे सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही. उन्होंने कहा कि खुद को सेटल करने के लिए हफ्ता, दस दिन का वक्त काफी है. 10 दिनों के भीतर दिल्ली में बड़ा बदलाव आएगा. अब दिल्ली में वे खुद सत्ता के शीर्ष पर हैं, तो प्रशासनिक कामकाज में अड़चन आने की कोई आशंका नहीं है.
सीएम केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के पास जनता से किए वादे पूरा करने के लिए कितना वक्त है, यह ठीक-ठीक किसी को नहीं मालूम है. सियासत का बड़े से बड़ा 'पंडित' भी इस पर अटकल लगाने में खुद को लाचार महसूस कर रहा होगा. तभी तो केजरीवाल मंत्रिमंडल सब-कुछ तेज रफ्तार से निपटाता नजर आ रहा है.
मुख्यमंत्री बनने के पहले ही दिन केजरीवाल ने दिल्ली में वीआईपी कल्चर खत्म करने का संकेत दे दिया. सचिवालय की सभी गाडि़यों से 'लाल बत्ती' उतरवा ली गई. उन्होंने अपने मंत्रियों और विधायकों के लिए सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया. 9 आईएएस अफसरों को 'इधर से उधर' कर दिया गया. उनके मंत्री ने पहले ही दिन 'औचक निरीक्षण' करके सबको हैरत में डाल दिया.
बहरहाल, दिल्ली की नई सरकार ने आम आदमी की उम्मीदों को 'जवां' तो कर ही दिया है. इन उम्मीदों पर केजरीवाल मंत्रिमंडल कितना खरा उतर पाता है, यह जानना अभी बाकी है.