दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग एक बार फिर आमने सामने हैं. दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के चेयरमैन कृष्ण सैनी की नियुक्ति रद्द होने से नाखुश अरविन्द केजरीवाल ने बाकायदा उपराज्यपाल को चिट्ठि लिखकर कहा है कि एलजी पूरे मामले में फिरसे विचार करें और जनता के भले के लिए वो यह फैसला वापस लें.
एक लंबी चिट्ठी में अरविंद केजरीवाल ने सफाई देते हुए लिखा है कि 'चेयरमैन की नियुक्ति में कोई गड़बड़ी नहीं की गयी. चेयरमैन नियुक्त करने की प्रक्रिया में चयन समिति के संविधान के साथ-साथ विद्युत नियमों का पूरा ध्यान रखा गया था. जबकि नियमों के मुताबिक नियुक्ति से पहले उपराज्यपाल की अनुमति ज़रूरी नहीं है इसलिए एलजी को ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया था. चयन समिति के अध्यक्ष हाइकोर्ट के रिटायर जज थे जबकि CERC के चेयरमैन और चीफ सेक्रेटरी समिति के सदस्य. जिनकी सहमति से कृष्ण सैनी को नियुक्त किया गया था.'
इस बीच केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में हाइकोर्ट के उस फैसले का हवाला भी दिया जहां एलजी को दिल्ली का मुखिया बताया गया था. चिट्ठी में लिखा है कि 'उपराज्यपाल जानते हैं कि हाइकोर्ट के फैसले को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. जिसका फाइनल फैसला नवंबर महीने के शुरुआत में आने की उम्मीद है, इसलिए हमें सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने का इंतजार करना चाहिए. उपराज्यपाल से निवेदन है कि जनता की भलाई के लिए वो अपने फैसले पर दोबारा विचार करें.' चिट्ठी के मुताबिक चयन समिति और चैयरमेन की नियुक्ति का आदेश उपराज्यपाल को भेजा गया था लेकिन एलजी ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई और ना ही पूरे मामले की फाइल वापिस मांगी थी.
दिल्ली सरकार ने लगाई हाई कोर्ट में अर्जी
डीईआरसी के पूर्व चैयरमैन कृष्ण कुमार सैनी की नियुक्ति रद्द करने के LG के फैसले को लेकर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में अर्जी लगाई है. हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है और उस पर 7 नवम्बर को सुनवाई होनी है, लिहाजा अब हाई कोर्ट इस पर 25 नवंबर को सुनवाई करेगा.
दिल्ली सरकार ने अपनी अर्जी में हाईकोर्ट को यह भी बताया है कि इस मामले में एलजी से मंजूरी लेने के लिए फाइल भेजी जा चुकी है. दरअसल उपराज्यपाल ने 21 सितंबर को डीईआरसी के चैयरमैन की नियुक्ति अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दी थी. बताया गया था कि दिल्ली सरकार ने इस नियुक्ति में न तो नियमों का पालन किया और न ही नियुक्ति को लेकर एलजी से पहले अनुमति ले गई थी. वहीं चार अगस्त का हाईकोर्ट से आए फैसले में यह साफ हो गया था कि राजधानी दिल्ली में डीईआरसी के चैयरमैन की नियुक्ति किसी भी हाल में बिना एलजी से अनुमति लिए दिल्ली सरकार नहीं कर सकती है.