मौका चाहे शपथग्रहण का हो, नौकरशाहों के साथ उच्चस्तरीय सरकारी बैठकों का हो या फिर विधानसभा सत्र के पहले दिन का हो. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नौकरशाह से लेकर बड़े नेता स्वेटर, मफलर, ज्यादा ठंड बढ़ने पर एक जैकेट पहने ही देख रहे हैं.
सोमवार को उन्होंने पानी पर बड़ा फैसला लिया, जिसकी बैठक बीमार अरविंद केजरीवाल ने अपने घर के गेस्ट रूम में की थी. दो शयनकक्षों वाला यह अपार्टमेंट गिरनार टावर के चौथे माले पर स्थित है, जहां केजरीवाल अपने माता-पिता, अपने दो बच्चों और पत्नी के साथ रह रहे हैं. इस बैठक में वो अपने सोफे पर बैठे हुए थे. एक शॉल से शरीर ढका हुआ था और सिर पर ऊन की टोपी थी, जिससे उनका कान तक ढका था.
दिल्ली के नौकरशाहों के लिए लीक से हटकर एक मुख्यमंत्री के साथ उनका यह पहला अनुभव था. यह मुख्यमंत्री शासन के तौर-तरीकों में एक नई परंपरा की नींव रखने पर अमादा है. यह मौका नई सरकार की पहली उच्चस्तरीय बैठक का था, जिसमें दिल्ली के लोगों को मुफ्त पानी मुहैया कराने के बारे में फैसला लिया जाना था.
मुख्यमंत्री को कफ ने जकड़ रखा था और वे बुखार में तप रहे थे, फिर भी उन्होंने अपना तय कार्यक्रम जारी रखने और लोगों से किए गए वादे को पूरा करने का फैसला लिया. एक छोटे से बैठक सह भोजन कक्ष में दिल्ली जल बोर्ड के 18 सदस्य मौजूद थे. जल बोर्ड के सीईओ विजय कुमार और वित्त सचिव एम. एम. कुट्टी भी उस बैठक में शामिल हुए थे.
पानी पर बड़ा फैसला लेने के ठीक अगले दिन यानी मंगलवार को बिजली के बिल पर भी 50 प्रतिशत कटौती की घोषणा की गई. मुफ्त पानी मुहैया कराना और बिजली के बिलों में 50 प्रतिशत की कटौती आम आदमी पार्टी (आप) के बड़े चुनावी वादों में से एक थे और दोनों फैसले उन्होंने सरकार गठन के महज तीसरे और चौथे दिन लिए.