दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने आजतक से खास बातचीत में प्रदूषण को 'नेशनल इमरजेंसी' बताया. उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं जबकि पंजाब में घटी हैं. इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से जारी डेटा का हवाला दिया. आतिशी ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा, 'केंद्र ने आखिर इसे लेकर क्या कदम उठाए हैं?'
आतिशी ने कहा, 'मध्य प्रदेश में 700 जगह पराली जलाई जा रही है. यह एक नेशनल इमरजेंसी है. जिस तरह कोविड में हम एक नेशनल मेडिकल इमरजेंसी से गुजर रहे थे उसी तरह आज पूरा उत्तर भारत एक नेशनल मेडिकल इमरजेंसी से जूझ रहा है. केंद्र सरकार मुझे बताए कि उन्होंने पिछले 5 साल में पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठाए हैं?'
'MP में सबसे ज्यादा पराली जलाई जा रही'
दिल्ली CM ने कहा, 'पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 80 से 85 फीसदी की कमी आई है. वहीं बाकी राज्यों को अगर देखें तो उत्तर प्रदेश में ये बढ़ी हैं, मध्य प्रदेश में आज देश की सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं हो रही हैं. भोपाल, इंदौर का एक AQI बढ़ा हुआ है. बीकानेर, जयपुर, पटना, बुलंदशहर का AQI बढ़ा हुआ है क्या उन सब के लिए आम आदमी पार्टी जिम्मेदार है?'
'केंद्र सरकार को प्रदूषण से कोई फर्क नहीं पड़ता'
आतिशी ने कहा, 'हमें इस बात को मानना पड़ेगा कि यह एक नेशनल इमरजेंसी है. कोविड में सभी राज्य साथ आए थे और केंद्र ने भी आगे आकर कई कदम उठाए थे. आज पराली जलाने की घटनाएं नेशनल मेडिकल इमरजेंसी क्रिएट कर रही हैं.' उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार को प्रदूषण से कोई फर्क नहीं पड़ता. बीजेपी शासित राज्यों में पराली की घटनाएं बढ़ रही हैं. पंजाब सरकार ने दिखाया है कि अगर आपकी इच्छाशक्ति है तो पराली जलाने की घटनाएं कम हो सकती हैं.'
'क्या पीएम मोदी ने कोई इमरजेंसी बैठक बुलाई?'
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए दिल्ली की सीएम ने कहा, 'आज तक प्रधानमंत्री ने प्रदूषण को लेकर कोई इमरजेंसी मीटिंग बुलाई? कोई इमरजेंसी कदम उठाया? क्या 5 साल में उन्होंने किसी भी राज्य में कोई एक भी कदम उठाया?'
आतिशी ने कहा, 'हम सिर्फ आंकड़े देख सकते हैं. दिल्ली में पराली नहीं जलती. पराली देश के अलग-अलग हिस्सों में जलती है, अलग-अलग राज्यों में जलती है. आंकड़े दिखा रहे हैं कि जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है वहां पराली जलना कम हुई है और बीजेपी शासित राज्यों में बढ़ी हैं. अगर इन आंकड़ों को नहीं भी मानें तो केंद्र सरकार कुछ तो करेगी.'