दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने तीन तलाक बिल में निकाह हलाला और बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए प्रावधान की मांग की है. इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है. स्वाति मालीवाल ने कहा कि निकाह हलाला और बहुविवाह बेहद ही शर्मनाक और अमानवीय सामाजिक कुरीतियां हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में मालीवाल ने लिखा, सबसे पहले मैं आपको (नरेंद्र मोदी) तीन तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ कानून पास करवाने के प्रयासों के लिए बधाई देना चाहती हूं. एक सभ्य समाज में जहां महिला और पुरुष को हर पहलू में समान दर्जा हो, वहां इस प्रकार की कुरीतियों की कोई जगह नहीं है. वैसे भी जब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य काफी सारे देशों में भी एक बार में तीन तलाक की प्रक्रिया पर प्रतिबंध है, तो फिर हमारे देश में क्यों नहीं?
अपने पत्र में मालीवाल ने लिखा, दिल्ली महिला आयोग में हर दिन तीन तलाक से पीड़ित कई महिलाएं आती हैं और उनका अपार दर्द देखते नही बनता. बाल विवाह, सती प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, पति द्वारा छोड़ दिया जाना इत्यादि ऐसी सामाजिक कुरीतियां हैं जिनके चलते महिलाओं के पैरों में बेड़ियां पड़ जाती हैं. ऐसे में इन कुरीतियों पर कानून के द्वारा कुछ हद तक नियंत्रण किया गया है. मगर तीन तलाक जैसी कुछ प्रथाओं की वजह से समाज की करोड़ों महिलाओं को हमेशा एक असुरक्षा के माहौल में जीना पड़ता है और वह अपने पूर्ण अधिकारों से वंचित रहती हैं.
उन्होंने पत्र में लिखा कि तीन तलाक के साथ-साथ मुस्लिम समाज में निकाह हलाला और बहु विवाह ऐसी कुप्रथाएं हैं जिनके चलते एक महिला का जीवन अत्यंत संघर्षशील हो जाता है. अगर कोई पुरुष महिला को तलाक दे देता है और वह दोबारा उसके साथ शादी करना चाहता है तो उसको निकाह हलाला की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इसके तहत महिला को पहले किसी अन्य पुरुष के साथ शादी करनी पड़ती है, उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने पड़ते हैं और उसके बाद वह पुरुष उसको तलाक देता है. केवल इस प्रक्रिया से गुजरने की बाद ही महिला वापस अपने पहले पति से शादी कर पाती है.
उन्होंने लिखा कि इस प्रक्रिया में महिला की मर्जी के बगैर उसका शारीरिक शोषण होता है. यह एक तरह से बलात्कार की श्रेणी में आता है. कई मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि दूसरा आदमी उस औरत को तलाक ही नहीं देता है जिससे उस महिला को उस आदमी के साथ जबर्दस्ती रहना पड़ता है. इससे महिला का शारीरिक और मानसिक शोषण होता है. इस कुप्रथा के कारण कई जिंदगियां बर्बाद हुई हैं.