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रविदास मंदिर पर SC पहुंची कांग्रेस, DDA के खिलाफ कार्रवाई की मांग

दिल्ली कांग्रेस के नेता और पूर्व विधायक राजेश लिलोथिया ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है. उन्होंने शीर्ष कोर्ट से दिल्ली के तुगलकाबाद में संत रविदास मंदिर को ध्वस्त करने के लिए डीडीए के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

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दिल्ली के तुगलकाबाद में संत रविदास मंदिर को ध्वस्त करने के बाद मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर जमकर राजनीतिक प्रयास किए जा रहे हैं. अब दिल्ली कांग्रेस के नेता और पूर्व विधायक राजेश लिलोथिया ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है. सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी भी मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग कर रही है.

पूर्व विधायक राजेश लिलोथिया ने शीर्ष कोर्ट से दिल्ली के तुगलकाबाद में रविदास मंदिर को ध्वस्त करने के लिए डीडीए के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में कई राजनीतिक दल तुगलकाबाद में गुरु रविदास मंदिर के निर्माण के समर्थन में आ गए हैं. इस मंदिर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पिछले महीने 10 अगस्त तोड़ा गया था.

देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी

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इससे पहले रविदास मंदिर को लेकर दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को दलित विरोधी करार देते हुए चेतावनी दी कि अगर संत रविदास मंदिर का फिर से निर्माण कराने के लिए जमीन मुहैया नहीं कराई गई तो इसको लेकर देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा.

आम आदमी पार्टी ने इस संबंध में केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष से रविदास मंदिर के लिए जल्द से जल्द जमीन मुहैया कराने की अपील की. पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा डीडीए ने मंदिर ढहाया था, जिससे करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वह डीडीए को रविदास मंदिर खातिर भूमि आवंटन के लिए कहें.

क्यों शुरू हुआ विवाद?

तुगलकाबाद वन क्षेत्र की संरक्षित भूमि में गुरु रविदास मंदिर के विध्वंस से संबंधित चल रहे प्रदर्शनों के बीच एक नया मोड़ आ गया है. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर वन क्षेत्र में मंदिर निर्माण की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही संत रविदास मंदिर को ध्वस्त किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने नौ अगस्त को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को ढांचा गिराने का निर्देश दिया था. देश की शीर्ष अदालत के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए डीडीए ने 10 अगस्त को मंदिर ध्वस्त कर दिया था. इसके बाद गुरु रविदास के अनुयायियों ने इसका जमकर विरोध करना शुरू कर दिया और इसके बाद इस मुद्दे पर हर राजनीतिक दल ने अपना-अपना समर्थन देना शुरू किया.

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सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह चेतावनी दी गई कि कोई भी मंदिर के विध्वंस का राजनीतिकरण या प्रदर्शन करता है तो उसके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जा सकती है.

गुरु रविदास मंदिर से जुड़ा मुद्दा पहली बार ट्रायल कोर्ट में तब पहुंचा था जब डीडीए ने पांच नवंबर 1992 को आनधिकृत निर्माण के संबंध में विध्वंस कार्रवाई शुरू करने की बात कही थी. ट्रायल कोर्ट द्वारा 31 जुलाई 2018 को मामले का फैसला करने के बाद गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और राहत की मांग की.

20 नवंबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी डीडीए द्वारा विध्वंस कार्रवाई के खिलाफ समिति की याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने नौ अगस्त को समिति को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने अदालत के वन क्षेत्र को खाली करने के आदेश को नहीं मानकर गंभीर उल्लंघन किया गया है.

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