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दिल्ली में 77 स्कूलों को बनाया गया वैक्सीनेशन सेंटर, बढ़ते संक्रमण के बीच फैसला

दिल्ली में पहली बार सरकारी स्कूलों को वैक्सीनेशन सेंटर में तब्दील किया गया है. 18 से 44 साल तक के उम्र के लोगों कोरोना टीका लगाने के लिए सरकारी स्कूल में ख़ास इंतजाम किए गए हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो-पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली में स्कूल बने वैक्सीनेशन सेंटर
  • 77 स्कूलों को बनाया गया वैक्सीनेशन सेंटर
  • बढ़ते संक्रमण के बीच फैसला

दिल्ली में कोरोना की बेकाबू रफ्तार ने सभी को खौफजदा किया है और मरने वालों का आंकड़ा भी डरा है. जवाब दे चुकी स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अब वैक्सीनेशन पर काफी जोर दिया जा रहा है. सीएम अरविंद केजरीवाल भी कह रहे हैं कि तीन महीने के अंदर पूरी दिल्ली को टीका लगाने की तैयारी है. ऐसे में अब बड़ा फैसला लेते हुए 77 स्कूलों को वैक्सीनेशन सेंटर बना दिया गया है. बढ़ते संक्रमण के बीच इसे काफी अहम माना जा रहा है.

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दिल्ली में स्कूल बने वैक्सीनेशन सेंटर

दिल्ली में पहली बार सरकारी स्कूलों को वैक्सीनेशन सेंटर में तब्दील किया गया है. 18 से 44 साल तक के उम्र के लोगों कोरोना टीका लगाने के लिए सरकारी स्कूल में ख़ास इंतजाम किए गए हैं. 'आजतक' को मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार ने 77 सरकारी स्कूलों में 18+ को वैक्सीन लगाने की तैयारी की है. दिल्ली में 3 मई से बड़े स्तर पर 18+ के लिए वैक्सीनेशन शुरू हो रहा है. भीड़ बढ़ने के मद्देनजर जिन 77 सरकारी स्कूलों को वैक्सीनेशन सेंटर बनाया गया है उन सभी स्कूलों को नज़दीकी अस्पताल से अटैच भी किया गया है. स्कूलों के अंदर टीकाकरण केंद्र इसलिए भी बनाए गए हैं ताकि अगर टीका लगवाने के लिए ज्यादा संख्या में भी लोग आ जाएं तो संक्रमण फैलने का खतरा कम हो.

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जानकारी मिली है कि सेंट्रल दिल्ली में 6 स्कूल, पूर्वी दिल्ली में 3 और पश्चिमी दिल्ली में 17 स्कूलों को वैक्सीनेशन सेंटर बनाया जा रहा है. दूसरे इलाकों में भी कई स्कूलों को अब वैक्सीन लगाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा. कहा जा रहा है कि ये पहली बार है जब स्कूलों को इस अंदाज में वैक्सीनेशन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में अंतर

वैसे इंतजाम तो लगातार किए जा रहे हैं, लेकिन उन अमल होता नहीं दिख रहा है. कहने को तो ऑक्सीजन का कोटा भी बढ़ा दिया गया है, लेकिन फिर भी दिल्ली ऑक्सीजन किल्लत से जूझ रही है. कहने को तो दिल्ली में बेड की संख्या काफी बढ़ा दी गई है, लेकिन फिर भी हर बड़े अस्पताल के बाहर मरीज और उनके परिजन गुहार लगाते दिख रहे हैं. ऐसे में अभी तक कोरोना काल में सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में काफी अंतर देखने को मिल रहा है और यहीं दिल्ली के लिए सबसे घातक भी साबित हो रहा है.

दिल्ली में डरा रहा मौत का ग्राफ

दिल्ली में कोरोना से हालात कितने खराब हैं, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि सिर्फ अप्रैल महीने में 5 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवा दी है. अगर हर दिन के आंकड़े पर नजर डालें तो पता चलता है कि दिल्ली में मौतों की रफ्तार डराने वाली है. 1 अप्रैल से लेकर 15 अप्रैल तक दिल्ली में कोरोना वायरस की वजह से 625 लोगों की मौत हुई है. जबकि 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक जारी हुए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 4,486 लोगों की पिछले 15 दिनों में कोरोना से मौत हुई है. 
 

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