राजधानी दिल्ली में लोगों के अपने पार्षदों के चुने तीन महीने से भी ज्यादा हो चुका है, लेकिन पार्षद फिलहाल परेशान और बेरोजगार हैं. पार्षद होने के बाद भी वे न तो इलाके में काम करवा पा रहे है और न ही लोगों की समस्याओं का समाधान. उसका बड़ा काऱण है जोनल कमेटियों के गठन नही होने की वजह से. दिल्ली में एमसीडी के चुनाव खत्म हुए तीन महीने से ज्यादा हो चुके हैं और एमसीडी में बीजेपी ने बाजी मारी है, लेकिन जीते हुए पार्षद ही लोगों का काम करवा नही पा रहे हैं.
दरअसल पार्षदों को अपने इलाके में कोई भी नया काम करवाने के लिए जोनल कमेटी से पास करवाना पड़ता है, लेकिन अभी तक जोनल कमेटी का गठन ही नही हो पाया है. राजधानी की तीनों नगर निगमों के पार्षद आजकल खासे बेबस, परेशान और ‘बेरोजगार’ हैं.
पार्षद बने उन्हें अब तीन महीने होने को आ रहे हैं, इसके बावजूद वे अपने इलाके में कोई काम नहीं करवा पा रहे हैं. उसका कारण यह है कि निगमों में जोनल कमेटियों का गठन नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते पार्षद न तो अपने इलाकों में कोई काम करवा पा रहे हैं और न ही लोगों को उनकी समस्याओं का समाधान कर पा रहे हैं. खाली बैठे हुए हैं अपने इलाकों में पार्षद. दरअसल पार्षदों के पास जो समस्याएं आ रही हैं, उनमें इलाकों में कूड़े के ढेर, सफाई कर्मियों की कमी, स्ट्रीट लाइटों की परेशानी, नालियों में गंदा पानी और पेड़ों की कटाई आदि शामिल है. इन समस्याओं का निवारण बहुत छोटा है, लेकिन समस्या यह है कि तीनों निगमों के सभी जोन में जोनल कमेटियों का गठन नहीं हुआ है, इसलिए न तो वहां ये समस्याएं उठा पा रही हैं और न ही उनका निवारण हो पा रहा है.
दरअसल पार्षद जोनल कमेटी का अध्यक्ष होता है और ये कमेटियां वैधानिक होती है, जिसमें जोन के सभी अधिकारी सदस्य होते हैं. पार्षद इन्ही जोनल कमेटियों के जरिए अपने इलाके में पुराने काम और नए काम को करवाते हैं. पार्षदों के मुताबिक इलाके के अधिकारी ये कह देते हैं कि जब तक जोनल कमेटी कोई आदेश नही पारित करती है, तब तक वो काम करने में असमर्थ है, जिसकी वजह से पार्षदों के सामने नई समस्या सामने आ रही है. पार्षदों का कहना है जोनल कमेटियों के गठन का नोटिफिकेशन दिल्ली सरकार जारी करती है, लेकिन अभी तक सरकार ने नोटिफिकेशन जारी नही किया है, जिसकी वजह से कमेटियों का गठन नही हो पा रहा है.
दिल्ली के तीनों एमसीडी का गठन अप्रैल में ही हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक इसका गठन नही हो पाया है, इसलिए फिलहाल वे ‘बेरोजगार’ हैं.