दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक और केस में बरी कर दिया है. यह मामला साल 2012 का है, जिसमें अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन किया था. केजरीवाल पर आरोप था कि उन्होंने धारा 144 लागू होने के बावजूद प्रधानमंत्री आवास के पास धरना प्रदर्शन किया.
पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ ही नौ अन्य लोगों को भी बरी कर दिया है. एडिशनल चीफ मैट्रोपोलिटन मजिट्रेट समर विशाल ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना लोगों का मौलिक अधिकार है. इस केस में लोगों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया और दिल्ली पुलिस यह साबित नहीं कर सकी कि भीड़ उग्र हो गई थी.
इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने जिस हवलदार सुभाष के प्रदर्शनकरियों के पथराव में घायल होने की बात कही थी, उसकी एमएलसी से पता चला कि उसकी चोट पुरानी थी. कोर्ट ने सीएम केजरीवाल के साथ प्रदर्शन करने वाले बनवारी लाल शर्मा, दलबीर सिंह, मुकेश कुमार, मोहन सिंह, बलबीर सिंह, जगमोहन गुप्ता, आजाद कसाना, हरीश सिंह रावत और आनंद सिंह बिष्ट को भी बरी कर दिया है.
पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत किसी को भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से नहीं रोका जा सकता है. यह उसका मौलिक अधिकार है. भारत का तो सत्याग्रह, आमरण अनशन और करो या मरो का पुराना इतिहास रहा है. कोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली पुलिस के उस इलाके में धारा 144 लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाए. मालूम हो कि 26 अगस्त 2012 को सीएम केजरीवाल ने करीब 400 लोगों के साथ इंडिया अंगेस्ट करप्शन के बैनर तले पीएम आवास के पास अकबर रोड पर प्रदर्शन किया था.
पुलिस का आरोप था कि जब भीड़ पीएम आवास की तरफ बढ़ने लगी, तो वह उग्र हो गई. जब उनको बैरिकेड लगाकर रोका गया, तो असामाजिक तत्वों ने पुलिस पार्टी पर पथराव कर दिया, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया. उग्र भीड़ ने बैरिकेड को भी नुकसान पहुंचाया. कोर्ट ने पुलिस के उन तर्कों को भी नहीं माना, जिनमें दावा किया गया कि त्यौहारों का सीजन होने के चलते व अन्ना अंदोलन के चलते पीएम आवास, राष्ट्रपति भवन और लुटियंस जोन आदि में धारा 144 लागू की गई थी और बिना अनुमति यह प्रदर्शन किया गया था.