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दिल्ली के किसान की कोर्ट में बड़ी जीत, 24 साल बाद मिलेगा जमीन का दस गुना मुआवजा

साकेत कोर्ट ने अपने फैसले में डीडीए को चौबीस साल पहले तय की गई मुआवजे की दर की बजाय 32 हजार 106 रुपर प्रति बीघा की दर से मुआवजा देने का आदेश दिया है. अदालत ने अपने आदेश में मुआवजे की बढ़ी राशि के भुगतान के अलावा इन 24 वर्षों का ब्याज भी 32 हजार रुपए प्रति बीघा अदा करने को कहा है.

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कोर्ट ने बढ़ा हुआ मुआवजा देने के आदेश दिए (प्रतिकात्मक तस्वीर)
कोर्ट ने बढ़ा हुआ मुआवजा देने के आदेश दिए (प्रतिकात्मक तस्वीर)

डीडीए में चौबीस साल पहले विकास योजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहीत होने के 24 साल बाद मुआवजे की रकम तय हुई है. दरअसल, दक्षिण दिल्ली के एक गांव के भूस्वामी ने मुआवजा कम दिए जाने की बात कहते हुए डीडीए से मुआवजा नहीं लिया था. भूमि तो डीडीए ने ले ली थी, लेकिन जमीन के मालिक ने मुआवजा लेने से इंकार करते हुए  अदालत में मुकदमा डाल दिया था. हालांकि 1998 में भूमि अधिग्रहीत हुई थी. उसी साल जमीन मालिक ने मुकदमा दर्ज करा दिया था. कुछ महीनों बाद उसकी मृत्यु भी हो गई थी. 

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अब साकेत कोर्ट में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) दिनेश कुमार ने अपने फैसले में डीडीए को चौबीस साल पहले तय की गई मुआवजे की दर तीन हजार रुपए प्रति बीघा की बजाय 32 हजार 106 रुपर प्रति बीघा की दर से मुआवजा भुगतान याचिका कर्ता के वारिसों को भुगतान करने का आदेश दिया है. अदालत ने अपने आदेश में मुआवजे की बढ़ी राशि के भुगतान के अलावा इन 24 वर्षों का ब्याज भी 32 हजार रुपए प्रति बीघा अदा करने को कहा है. 

इसके अलावा भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना और अधिग्रहण के वास्तविक समय के अंतराल में तब के बाजार भाव से अंतर राशि का भी भुगतान याचिकाकर्ता को किए जाने के आदेश दिए गए हैं. कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण कलेक्टर को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता परिवार पहले ही मुआवजा भुगतान को लेकर 24 वर्षों से अदालत के चक्कर लगाकर परेशान हो चुका है लिहाजा उनको आदेश के मुताबिक रकम का भुगतान कर अदालत को सूचित किया जाए.

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