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'मुस्कुराकर कही गई कोई बात अपराध नहीं...' हेट स्पीच मामले में हाईकोर्ट की टिप्पणी

जज ने पूछा, 'भाषण में सांप्रदायिक मंशा कहां है? यह कहते हुए कि यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि प्रदर्शनकारी सभी एक समुदाय के हैं. जज ने पूछा कि अगर उस आंदोलन को इस देश के अन्य सभी नागरिकों का समर्थन मिलता है तो आप कैसे कह सकते हैं कि ऐसा बयान केवल एक समुदाय को ध्यान में रखकर दिया गया है?

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फाइल फोटो.
फाइल फोटो.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चुनाव आयोग ने अनुराग ठाकुर को जारी किया था कारण बताओ नोटिस
  • 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों से ठीक पहले अनुराग ठाकुर ने दिया था बयान

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर मुस्कुराते हुए कुछ कहा जाता है तो इसमें कोई अपराध नहीं है. पीठ दिल्ली दंगों के मामले में अभद्र भाषा  को लेकर दी गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी. दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने शुक्रवार को कहा, 'अगर आप मुस्कान के साथ कुछ कह रहे हैं, तो कोई अपराध नहीं है, अगर आप कुछ आपत्तिजनक कह रहे हैं तो ये जरूर अपराध है. पीठ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के खिलाफ अभद्र भाषा के लिए आपराधिक मामला शुरू करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. हालांकि पीठ ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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इस केस की सुनवाई जस्टिस  चंद्रधारी सिंह की एकल पीठ में हो रही है. जस्टिस सिंह ने कहा कि राजनीतिक भाषणों पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले चेक एंड बैलेंस की आवश्यकता होती है. बता दें कि सीपीआई नेता वृंदा करात की ओर से याचिका दायर में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी. निचली अदालत ने अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ शिकायत को खारिज कर दिया गया था, जो कि 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों से ठीक पहले दिए गए भाषणों के लिए थी.

चुनाव आयोग ने अनुराग ठाकुर को जारी किया था कारण बताओ नोटिस

मंत्री ने अपने भाषण में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अपने समर्थकों से आह्वान करते हुए 'देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को' के नारे का इस्तेमाल किया था. चुनाव आयोग ने 29 जनवरी 2020 को भाषण के लिए ठाकुर को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. करात ने निचली अदालत के समक्ष अपनी शिकायत में अभद्र भाषा के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी.

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जस्टिस सिंह ने टिप्पणी की कि चुनावी भाषण और अन्य समय में दिए गए भाषणों में अंतर होता है, क्योंकि अगर चुनाव के समय कोई भाषण दिया जाता है, तो वह एक अलग समय होता है. यदि आप सामान्य समय में भाषण दे रहे हैं, तो आप कुछ भड़का रहे हैं.

पीठ ने कहा कि चुनाव भाषण में राजनेताओं द्वारा एक-दूसरे से बहुत सी बातें कही जाती हैं और वह भी गलत बात है, लेकिन मुझे अधिनियम की आपराधिकता को देखना होगा यदि आप कुछ कह रहे हैं, मान लीजिए कि आपने केवल माहौल और इन सभी चीजों के लिए कुछ कहा है, मुझे लगता है कि विभिन्न राजनीतिक दल अलग-अलग बातें कहते हैं.

करात के वकील अदित पुजारी और तारा नरूला ने अपनी दलीलों में कहा था कि भाषणों ने दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में हो रहे सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा को भड़काया. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अनुराग ठाकुर की ओर से "ये लोग" शब्द के इस्तेमाल से संकेत मिलता है कि वह प्रदर्शनकारियों और एक विशेष समुदाय को निशाना बना रहे थे.

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