दिल्ली की एक अदालत ने नाबालिग लड़की के साथ रेप के दोषी शख्स को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. वह पीड़िता को स्कूल ले जाता था और उसे वापस घर छोड़ता था. साल 2018 में शख्स ने नाबालिग लड़की के साथ बार-बार बलात्कार किया और इस अपराध के लिए अदालत ने उसे दोषी ठहराया. कोर्ट ने कहा कि दोषी शख्स ने पीड़िता के परिवार के साथ विश्वासघात किया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बलविंदर सिंह उस 44 वर्षीय ड्राइवर (दोषी शख्स) के खिलाफ सजा पर दलीलें सुन रहे थे, जिसे POCSO एक्ट (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया गया था. अदालत ने सजा सुनाते हुए कहा कि दोषी शख्स सहानुभूति या उदारता का पात्र नहीं है, क्योंकि उसने सामाजिक मूल्यों और नैतिकता का उल्लंघन किया है.
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अदालत ने यह फैसला 19 अक्टूबर को सुनाया था जिसमें कहा गया, 'वर्तमान मामले में पीड़िता एक नाबालिग बच्ची है और उसके साथ हुए अपराध के वक्त उसकी उम्र केवल 3.5 साल थी. अगस्त 2018 से 23 अक्टूबर, 2018 के बीच उसका यौन उत्पीड़न किया गया. दोषी, एक विवाहित व्यक्ति है. उसके पास अपने कृत्य की प्रकृति और परिणामों को समझने की पर्याप्त परिपक्वता थी. वयस्क होने के बावजूद उस व्यक्ति ने नाबालिग के साथ जघन्य अपराध करने में संकोच नहीं किया. जबकि पीड़िता के परिवार ने उसे (दोषी) बच्ची को स्कूल ले जाने और वापस लाने की जिम्मेदारी सौंपी थी.'
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अदालत ने कहा, 'दोषी ने उसकी (पीड़िता की) मासूमियत और असुरक्षा का फायदा उठाया. वह अपराध के वक्त मुश्किल से 3.5 साल की बच्ची थी. पीड़िता के प्रति प्यार, स्नेह और सुरक्षा दिखाने के बजाय, दोषी ने इसके विपरीत उसे अपनी वासना का शिकार बनाया. यह स्पष्ट रूप से पीड़िता और उसके परिवार के साथ विश्वासघात का मामला है.' POCSO एक्ट के अलावा, दोषी व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 AB (12 साल से कम उम्र की बच्ची से बलात्कार करने की सजा) के तहत दोषी ठहराया गया. अदालत ने 20 साल कारावास की सजा के अलावा, दोषी पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया और नाबालिग पीड़िता को 1.2 लाख रुपये का मुआवजा दिया.