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दिल्ली की सरकारी मान्यता प्राप्त गोशालाओं पर भारी कर्ज

दिल्ली की मॉडल श्रीकृष्ण गौशाला के मैनेजर राजेंद्र सिंह कहते हैं अक्सर पैसा न होने की वजह से हम चारा स्टोर नहीं कर पाते. इसलिए ऑफ सीजन में ज्यादा पैसा देना पड़ता है, लिहाजा गौशालाओं पर भारी कर्ज हो जाता है.

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सांकेतिक तस्वीर (IANS)
सांकेतिक तस्वीर (IANS)

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दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम गाय के मुकाबले बंदर और कुत्ते को ज्यादा वरीयता दे रही है. बतौर फीडिंग चार्ज प्रति गाय दिल्ली सरकार और एमसीडी की तरफ से 20-20 रूपए यानी हर रोज 40 रुपये गाय के लिए फीडिंग चार्ज दिया जा रहा है. वहीं निगम प्रति बंदर हजार रुपये खर्च करता है. इतना ही नहीं दिल्ली सरकार की 5 मान्यता प्राप्त गोशाला में से एक तो गाय की ज्यादा मौतों की वजह से बंद हो गई तो बाकी गोशालाएं भारी कर्जे में हैं. दिल्ली सरकार और एमसीडी का करोड़ों रुपये आज भी बकाया हैं. अब सालों-साल पेमेंट के लिए गौशालाओं को इंतजार करना पड़ता है.

दिल्ली की मॉडल श्रीकृष्ण गौशाला के मैनेजर राजेंद्र सिंह कहते हैं अक्सर पैसा न होने की वजह से हम चारा स्टोर नहीं कर पाते. इसलिए ऑफ सीजन में ज्यादा पैसा देना पड़ता है, लिहाजा गौशालाओं पर भारी कर्ज हो जाता है.

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श्री कृष्ण गौशाला दिल्ली सरकार की मॉडल गौशाला है. पर एक अप्रैल 2017 से मई 2019 तक आज  तक फीडिंग चार्ज बकाया है. बकाया राशि करीब 12,30,75,760 बैठता है. वहीं दिल्ली सरकार का मार्च 2019 से अब तक का फीडिंग चार्ज नहीं मिला है जो कि 1 करोड़ के पास है. वहीं गोपाल गो सदन गौशाला को एमसीडी से 2 साल से करीब 6 करोड़ का फंड अभी तक नहीं मिला है. वहीं दिल्ली सरकार का 4 महीने का करीब 88,00,000 रुपये फीडिंग चार्ज का अब तक नहीं मिला है.

एक गाय औसत रूप से 3 से 4 किलो भूसा, तूड़ा या सूखा चारा खाती है. भूसे का भाव करीब 6 से 7 रुपये किलो है. ऐसे में सूखे चारे पर एक गाय पर खर्चा 28 रुपये के करीब आता है.

एक गाय 12 से 15 किलो हरा चारा खाती है. तीन रुपये के हिसाब से हरे चारे का खर्च कुल 45 रुपये के आसपास होता है. औसत रूप से एक गाय को गौशाला में पौष्टिक फीड यानी दाना, दलिया और गेहूं एक से डेढ़ किलो दिया जाता है. जिसमें करीब 25 रुपये का खर्च आता है. जो बढ़कर 33 रुपये के आसपास हो जाता है.

कुल मिलाकर गाय के खाने का खर्च औसत रूप से 106 रुपये है. अगर गोशाला के मेंटिनेंस, सेवादार और रखरखवाक के खर्चे को जोड़ दें तो एक गाय पर गौशालाओं पर होने वाला खर्च प्रति गाय 100 रुपये भी कम पड़ता है. अगर सही ढंग से गायों को रखा जाए तो उन पर 100 रुपये से ज्यादा खर्च करने की जरूरत है.

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हाईकोर्ट के आदेश पर दिल्ली सरकार से मान्यता प्राप्त पांच गौशालाओं को हर रोज प्रति गाय 20 रुपये दिल्ली सरकार की ओर से वहीं 20 रुपये एमसीडी की तरफ से दिए जा रहे हैं. दरअसल 1995 में एमसीडी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह खड़ी हो गई कि जिन आवारा गायों को वह पकड़ते हैं, उनका क्या करें?

दिल्ली सरकार ने तकरीबन पांच एनजीओ को जमीनें दी हैं, जिसके केयरटेकर अलग-अलग एनजीओ हैं.  गौशालाओं के मेंटिनेंस और मैनेजमेंट का काम एनजीओ देखता है. देखा जाए तो दिल्ली सरकार ने जमीन देकर अपने काम को पूरा हुआ मान लिया तभी एनजीओ के सामने सबसे बड़ी समस्या यह आ कर खड़ी हो गई कि गायों का खर्च चलाएं तो कैसे?

लिहाजा गोशालाएं साल 2005 में कोर्ट का रुख करती हैं और तभी से कोर्ट के आदेश पर गायों को दिया जाने वाला फीडिंग चार्ज जो तय हुआ वह 5 रुपए के करीब ही था. वक्त बदलने के साथ ही फीडिंग चार्ज 5 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये कर दिया गया. लेकिन सवाल अब भी कायम है क्या गायों को मिलने वाला निगम और दिल्ली सरकार का 20- 20 यानी 40 रुपया, 500 किलो के करीब वजन वाली गाय का पूरा पेट भर सकता है?

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गौशाला संचालक राजेंद्र सिंघल बताते हैं कि गाय को मिलने वाले फीडिंग चार्ज को डीए (Dearness allowance) से जोड़ना होगा, और पेमेंट हर महीने क्लीयर किया जाए. गौरतलब है कि नॉर्थ एमसीडी के अंदर तीन गोशालाएं आती हैं. ईस्ट एमसीडी के अंतर्गत दो गोशालाएं आती हैं, जिनमें से एक गोशाला बंद हो चुकी है.

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