दिल्ली पुलिस ने कोविड-19 के चलते जेल से जमानत पर छूटे 3 जालसाजों को गिरफ्तार किया है. यह जालसाज लोगों को बड़ी मात्रा में मैसेज के जरिए रिवॉर्ड प्वाइंट देकर हजारों का फायदा देने का झांसा देते थे. आरोपी प्लान के मुताबिक अपने शिकार को एक वेबसाइट लिंक मैसेज के जरिए भेजा करते थे. यह वेबसाइट लिंक आरोपी विकास झा ने तैयार किया था जिसमें यह ईमेल आईडी कार्ड नंबर, कार्ड एक्सपायरी नंबर, सीवीवी नंबर आदि भरने को कहा करते थे और जब सारा डिटेल आ जाता था तो पीड़ित का अकाउंट खाली कर देते थे.
रिवॉर्ड प्वाइंट के जरिए ठगी
आरोपियों ने देश के अलग-अलग राज्यों में पैकेट बैंक अकाउंट खुलवा रखे थे जहां जालसाजी से हासिल की गई रकम को ट्रांसफर कर दिया जाता था. पुलिस को चकमा देने के लिए यह आरोपी पुणे, गोवा, बेंगलुरु, कोयंबटूर, इंदौर, जयपुर, सूरत,चंडीगढ़, शिमला, आगरा, करनाल और तमाम देश के हिस्सों से पैसे निकाला करते थे. पुलिस ने इन आरोपियों के पास से 15 मोबाइल फोन 39 सिम कार्ड, 12 बैंक अकाउंट और लैपटॉप बरामद किए हैं.
उत्तरी दिल्ली के डीसीपी एंटो अलफोंस ने बताया कि लगातार साइबर फ्रॉड की शिकायतें मिलने के बाद नॉर्थ दिल्ली की साइबर सेल की टीम जिसमें सब इंस्पेक्टर रोहित, एएसआई राजीव और एसीपी ऑपरेशंस जयपाल सिंह की टीम को लगाया गया था. दिल्ली पुलिस की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद 3 शातिर ठगों को गिरफ्तार किया. जिन का सरगना है विकास झा. पुलिस ने विकास के साथी हिमांशु उर्फ़ विक्की और अविनाश को भी गिरफ्तार कर लिया. इन तीनों आरोपियों को पुलिस ने कुरुक्षेत्र से गिरफ्तार किया जब यह चंडीगढ़ से आगरा जा रहे थे.
कैसे करते थे ये लोग ठगी?
इन आरोपियों ने क्रेडिट कार्ड प्वाइंट्स देने का झांसा देकर कई राज्यों के लोगों से लाखों रुपए की ठगी की है. दरअसल दिल्ली पुलिस को गृह मंत्रालय के पोर्टल से शिकायत मिली थी.वहां बुराड़ी के रहने वाले एक शख्स ने शिकायत दी थी कि उसके क्रेडिट कार्ड से ₹37000 का ट्रांजैक्शन हो गया और उसके पास कोई ओटीपी नंबर भी नहीं आया. साइबर सेल की टीम ने जब जांच शुरू की तो पता चला कि पीड़ित के पास बड़ी संख्या में मैसेज और लिंक उसके मोबाइल फोन पर शेयर किए गए थे और पीड़ित ने झांसे में आकर इस वेबसाइट पर लिंक के जरिए अपनी सारी कार्ड इन्फॉर्मेशन शेयर कर दी थी.
उत्तरी दिल्ली के डीसीपी एंटो अलफोंस ने बताया कि जांच के दौरान साइबर सेल की टीम ने टेक्निकल एनालिसिस के जरिए बैंक के डिटेल वॉलेट्स, पेमेंट गेटवे, ऑनलाइन गिफ्ट वाउचर से जुड़ी वेबसाइट का अध्ययन किया तो पता चला कि जालसाज़ों ने इन पैसों का ट्रांजेक्शन किया है. जांच के दौरान पुलिस को करीब 100 मोबाइल नंबरों की जानकारी मिली जिसमें इन तीन कॉलर डिटेल्स मौजूद थे जो विकास झा, अविनाश कुमार और विक्की उर्फ हिमांशु ने इस्तेमाल किए थे.
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इन आरोपियों के खिलाफ पहले भी गुड़गांव, फरीदाबाद और दिल्ली में जालसाजी के कई मामले दर्ज हैं. हाल ही में कोरोना संक्रमण के दौरान विकास झा और अभिनय अविनाश को जमानत मिली थी जिसके बाद उन्होंने जेल में बात ही नहीं की लिहाजा उन्हें नॉन बेलेबल वॉरंट पर फरार घोषित कर दिया गया था.
कोडिंग एक्सपर्ट है आरोपी
दरअसल ठगी के इस गैंग का सरगना विकास झा कंप्यूटर का माहिर है और कोडिंग करने का काम जानता है. इससे पहले अभी वह दो दर्जन से ज्यादा मामलों में गिरफ्तार हो चुका है. इस बार आरोपी विकास ने जालसाजी करने के लिए बड़ी तादाद में बैंक डाटा खरीदा था. इससे पहले ठगी के पैसे से विकास झा सोना और महंगे मोबाइल फोन खरीद कर बेचने का काम किया करता था.
लेकिन लॉकडाउन के दौरान शोरूम बंद पड़े हैं लिहाजा उसने देश के अलग-अलग हिस्सों में फर्जी बैंक अकाउंट खोलकर ठगी का पैसा उसमें ट्रांसफर करना शुरू कर दिया था. इतना ही नहीं यह सभी जालसाज देश के अलग-अलग हिस्सों के फाइव स्टार होटल में ठहरा करते थे. यह शहर में एक रात से ज्यादा नहीं ठहरते थे.