दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने अब एक ऐसी तकनीक इजाद की है जिससे कि खत्म हो गए सबूतों को भी फिर से निकाला जा सके. फर्ज कीजिए, किसी अपराधी ने वारदात को अंजाम देने के बाद सीसीटीवी फुटेज नष्ट कर दी और हार्ड डिस्क को भी डैमेज कर दिया. तो फिर सबूत कैसे मिलेगा? नामुमकिन से लगने वाले इस टास्क को चुटकियो में अंजाम दिया जा रहा है द्वारका इलाके के नेशनल फॉरेंसिक लैब में, जिसे दिल्ली पुलिस की साइबर सेल चलाती है.
लॉकडाउन के दौरान राजधानी दिल्ली में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. लॉकडाउन के दौरान लोगों ने काफी ऑनलाइन खरीदारी या लेनदेन की है. ऐसे में अपराधियों ने कई बार यहां पर लोगों को ठगने का भी काम किया है. इसी को देखते हुए द्वारका स्थित नेशनल साइबर लैब में पहली बार तीन ऐसे तरीके शामिल किए गए हैं जो बड़े कमाल के हैं.
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डैमेज हार्ड डिस्क फॉरेंसिंक लैब
डैमेज हार्ड डिस्क से किसी भी डेटा को रिट्रीव करना भूसे के ढेर से सूई खोजने के बराबर है. लेकिन ये काम चुटकियो में हो जाता है. बस इसके लिए पीपीई किट जैसा दिखने वाला सूट पहनना होता है. किसी भी डैमेज हार्ड डिस्क के मैग्नेटिक डाटा को नार्मल एनवॉयरमेंट में नहीं खोल सकते. उसे खोलने के लिए पीपीई किट जैसा दिखने वाला विशेष तरह का सूट पहनकर क्लीन रूम एनवायरनमेंट में जाना पड़ता है.
साइबर लैब इंचार्ज विजय गहलावत के मुताबिक, 'डैमेज हार्ड डिस्क में रेत का एक कण भी चला गया तो हार्ड डिस्क खत्म हो जाएगी. फिर डाटा रिकवर नहीं होगा. इसके लिए क्लीन रूम एनवॉयरमेंट एक स्पेशलाइज्ड एनवॉयरमेंट है. जिससे डाटा रिकवर होता है बाद में लैब के अंदर इसका विश्लेषण होता है.'
डैमेज मोबाइल फोन फॉरेंसिक लैब
पुलिस को अक्सर वारदात वाली जगह पर डैमेज फोन मिलता है. नई तकनीक विकसित होने से अब पुलिस डैमेज फोन से आसानी से डाटा बाहर निकाल सकती है. सामान्य तौर पर टूटे मोबाइल फोन की मेमोरी एक्सेस नहीं की जा सकती. पर लैब में मेमोरी को डायरेक्ट रीड करने के कई अलग तरीके हैं. लैब की मोबाइल एनालिसिस विंग डिलीटेड डाटा या किसी भी डिलीट हिस्ट्री को चुटकियों में निकाल सकती है.
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मॉलवेयर फॉरेंसिक लैब
अगर किसी सिस्टम में वायरस आ गया है तो वह सिस्टम के किसी भी एप्लीकेशन को प्रभावित कर सकता है. ऐसे में अगर यह जानना हो कि किसी शख्स ने बाहर डाटा कहां भेजा है तो इसे नॉर्मल तरीके से जान पाना काफी मुश्किल है. क्योंकि वायरस ने उसे भी प्रभावित कर दिया होगा. लिहाजा सैंडबॉक्स एनवायरनमेंट के जरिए उस वायरस को बेवकूफ बनाकर तमाम जानकारी पता की जा सकती है.
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साइबर सेल डीसीपी अन्येष राय ने कहा, 'बढ़ते साइबर अपराधों पर लगाम कसने के लिए द्वारका स्थित नेशल साइबर लैब में Cloud forensics, Network forensic, Cryptoforensic, Memory hard disc forensic, malware forensics with sand sandbox के अलग-अलग लैब बनाकर नामुमकिन सा डाटा रिकवर करके जांच करने वाले अधिकारी को दे रहे हैं.'