दिल्ली में डेंगू के मामले बढ़े हुए नजर आ रहे हैं, जहां मौसम विभाग ने राजधानी में बारिश बढ़ने की संभावना जताई है तो बारिश के चलते डेंगू और मलेरिया का खतरा और भी बढ़ेगा. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में डेंगू के 124 मामले आ चुके हैं. अगर इसी समय की तुलना पिछले साल से करें तो डेंगू के महज 96 मामले, मलेरिया के 57 और चिकनगुनिया के 37 मामले दर्ज हुए थे.
55 फीसदी मामलों को निगम ने अबतक नहीं किया ट्रेस
बता दें कि डेंगू, मलेरिया चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या का पता लगाना निगम की ही जिम्मेदारी होती है.पर निगम के ही आंकड़े ये बता रहे हैं कि करीब 55 फीसदी मामले ऐसे हैं जिसमें मरीजों को निगम ने अभी तक ट्रेस ही नहीं किया है. नॉर्थ दिल्ली नगर निगम में नेता सदन छैल बिहारी गोस्वामी ने कहा कि लोगों के बीच जागरूकता भरे पर्चे बांटने के साथ ही चालान में भी तेज़ी होगी. हां, खस्ताहाल निगम ने इस साल 82 हजार 674 लोगों को नोटिस, चालान किए और 8 लाख 3050 रुपए कमाए.
कई साल के ट्रेंड ये कहते हैं कि दिल्ली में डेंगू अक्सर बारिश के बाद ही बढ़ता है. ऐसे में कोविड प्रोटोकॉल के बीच जलजनित बीमारियों से भी बचाव की जरूरत है. डॉ. बलवंत सिंह सिकरवार ने बताया कि, “फ्लू के मरीजों से अलग डेंगू में ठंड लगने के बाद अचानक तेज़ बुखार आता है. सिर, मांसपेशियों, जोड़ो में दर्द होता है. अभी इसकी एंटीवायरल दवा नहीं है, लिहाजा बचाव ही बेहतर इलाज है.
पीक होता है सितंबर-अक्टूबर
बता दें कि आखिरी बरसात के दो हफ्ते बाद जल जनित बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया का पीक सीज़न शुरू होता है. इस लिहाज से दिल्ली में सितंबर-अक्टूबर पीक होता है और नवंबर से मामलों में कमी आने लगती है. साउथ एमसीडी में जल जनित बीमारियो के हेल्थ ऑफिसर डॉ. लल्लन ने बताया कि “केसेज की रिपोर्टिंग ज्यादा होने से डेंगू के मामले बढ़े लग रहे हैं. वहीं, बारिश ज्यादा होने के मुकाबले ये कम हैं. बारिश इस बार 65 फीसदी ज्यादा हुई है.” मामले ना बढ़े इसके लिए जनजागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं.
एसडीएमसी के ये हैं हॉट-स्पॉट
नजफगढ़ और वो अनऑथराइज्ड कॉलोनी जहां पानी की सप्लाई नहीं है, जहां लोग पीने का पानी इकट्ठा करते हैं और साथ ही लोग जागरूक भी नहीं हैं कि एकत्रित पानी में मच्छर पैदा होते हैं, ऐसे इलाके हॉट-स्पॉट में आते हैं. मसलन, संगम विहार, दक्षिण पुरी, लाडो सराय, अंबेडकर नगर, घिटोरनी हॉट-स्पॉट में गिने जाते हैं. ज्यादातर नर्सरीज के पॉट में लार्वा पाए जाते हैं.
नॉर्थ एमसीडी भी पीछे नहीं
इस साल जनवरी से अब तक नॉर्थ एमसीडी में डेंगू के 21 मामले आए हैं जिसमें करोलबाग, रोहिणी, और सिविल लाइन आदि इलाके आते हैं. नॉर्थ एमसीडी का एरिया साउथ के अपेक्षा जल जनित बीमारियो के लिए ज्यादा प्रोन है, अस्पताल भी साउथ के मुकाबले अच्छे संसाधनों वाले नहीं, ऐसे में सवाल उठता है क्या नॉर्थ एमसीडी आंकड़ो को छुपा रहा है? नॉर्थ एमसीडी में हेल्थ ऑफिसर डॉ अशोक रावत ने कहा कि आंकड़ों में साउथ से पीछे भले हो लेकिन आंकड़े कम होने के पीछे हेल्थ एजुकेशन कैंपेन, इंसेक्टीसाइड स्प्रे जिम्मेदार हैं. हालांकि अभी पीक सीज़न बाकी है.
नेता चुनावी कार्यक्रमों में व्यस्त
निगम में अगले साल चुनाव होने हैं, लिहाजा नेता चुनावी तैयारियों में जुटे हैं. जन जागरूकता अभियान से ज्यादा वोटरों को लुभाने लगे हुए हैं. साउथ के मेयर मुकेश सूर्यान को फोन करने पर उन्होंने कहा कि वो कार्यक्रम में व्यस्त हैं.