दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई ने शराब घोटाले मामले में करीब 14 घंटे छापेमारी की. शुक्रवार सुबह शुरू हुई सीबीआई की रेड देर रात तक चली. इस दौरान सीबीआई की टीम ने डिप्टी सीएम के घर से सीक्रेट डॉक्यूमेंट भी बरामद किए. इसके बाद जांच एजेंसी ने सिसोदिया के खिलाफ FIR भी दर्ज कर ली. इसमें उन्हें मुख्य आरोपी के तौर पर पेश किया गया है.
सीबीआई द्वारा दर्ज की गई FIR में सिसोदिया का नाम सबसे ऊपर है. बाकी आरोपियों के नाम नीचे आ रहे हैं. ऐसे में तय है कि जांच के केंद्र में मनीष सिसोदिया ही रहने वाले हैं. इस मामले में जांच एजेंसी ने मनीष सिसोदिया के अलावा 14 और लोगों को आरोपी बनाया है.
CBI की FIR में ये हैं नाम
1- मनीष सिसोदिया, डिप्टी सीएम, दिल्ली
2- आर्व गोपी कृष्ण, तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर
3- आनंद तिवारी, एक्साइज डिप्टी कमिश्नर
4- पंकज भटनागर, असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर
5- विजय नैयर, CEO, एंटरटेनमेंट इवेंट मैनेजमेंट कंपनी, मुंबई
6- मनोज राय, पूर्व कर्मचारी, पेर्नोड रेकोर्ड
7- अमनदीप ढाल, डायरेक्टर, ब्रिंडको सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, महारानी बाग
8- समीर महेंद्रु, मैनेजिंग डायरेक्टर, इंडोस्प्रिट ग्रुप, जोरबाग
9- अमित अरोड़ा, बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, डिफेंस कॉलोनी
10- बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड
11- दिनेश अरोड़ा, गुजरावाला टाउन, दिल्ली
12- महादेव लिकर, ओखला इंडस्ट्रियल एरिया
13- सनी मारवाह, महादेव लिकर
14- अरुण रामचंद्र पिल्लई, बंगलुरु, कर्नाटक
15- अर्जुन पांडेय, गुरुग्राम फेस-3, डीएलएफ
CBI की FIR से क्या पता चलता है?
सीबीआई कॉपी की वजह से ये मामला ज्यादा मजबूत बना है, जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, ये मनीष सिसोदिया के करीबी बताए जा रहे हैं. FIR कॉपी से पता चलता है कि अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अरुण पांडे शराब व्यापारियों से कमीशन लिया करते थे. कमीशन के बदले में ही लाइसेंस दिया जाता था. अब ये चारों ही मनीष सिसोदिया के करीबी बताए गए हैं, इसी वजह से सीबीआई को उनकी भूमिका को लेकर संदेह है.
सिसोदिया पर दो बड़े आरोप क्या हैं?
इस पूरे मामले में मनीष सिसोदिया पर दो प्रमुख आरोप हैं. पहला आरोप ये है कि जब Excise Department ने Liquor Shops के लिए लाइसेंस जारी किए तो इस दौरान मनीष सिसोदिया द्वारा कुल Private Vendors को 144 करोड़ 36 लाख रुपये का फायदा पहुंचाया गया क्योंकि इस दौरान इतने रुपये की License Fee माफ कर दी. जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ. इसके अलावा मनीष सिसोदिया पर ये भी आरोप है कि उन्होंने कैबिनेट को भरोसे में लिए बिना और उप-राज्यपाल के बिना फाइनल अप्रूवल के कई बड़े फैसले लिए.
CBI ने मोबाइल, कंप्यूटर किया सीज
मनीष सिसोदिया के सामने चुनौती ये भी है कि उन पर कमीशन लेकर करीबी शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने का भी आरोप लगा है. सीबीआई के एक्शन से मनीष सिसोदिया नाराज हैं और इसको लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. सिसोदिया ने कहा कि शुकवार की सुबह सीबीआई की टीम आई थी, उन्होंने पूरे घर की तलाशी ली. मेरा कंप्यूटर और पर्सनल मोबाइल सीज करके ले गए हैं.
मैंने और मेरी फैमिली ने पूरा सहयोग दिया जांच में, आगे भी जांच होगी तो सहयोग देंगे. हमने कुछ गलत नहीं किया है, कोई भ्रष्टाचार नहीं किया. इसलिए हम डर नहीं रहे हैं. हम जानते हैं कि सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है, सीबीआई को ऊपर से यूज किया जा रहा है, ऊपर से कंट्रोल किया जा रहा है. सब लोग जानते हैं कि किस तरह सीबीआई को कंट्रोल करके दिल्ली सरकार के अच्छे काम रोकने की कोशिश की जा रही है.
केजरीवाल ने केंद्र सरकार को घेरा
सिसोदिया के घर सीबीआई की रेड पर अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर केंद्र सरकार को घेरा. केजरीवाल ने कहा कि जिस दिन अमेरिका के सबसे बड़े अखबार में दिल्ली के शिक्षा मॉडल की तारीफ की गई उसी दिन मनीष के घर सीबीआई भेज दी गई, लेकिन हम जांच में पूरा सहयोग करेंगे.
संजय सिंह ने छापेमारी पर उठाए सवाल
केजरीवाल के अलावा संजय सिंह ने भी सिसोदिया के घर रेड को लेकर बीजेपी पर हमला बोला. संजय ने कहा कि देश में केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता को रोकने के लिए ये छापेमारी की गई है. उन्होंने कहा कि आज केंद्रीय जांच एजेंसियों का मजाक बना दिया गया है. जब पूरी दुनिया में केजरीवाल के शिक्षा मॉडल की तारीफ हो रही है तो प्रधानमंत्री दिल्ली के शिक्षा मंत्री के खिलाफ सीबीआई की छापेमारी करा रहे हैं. संजय ने आरोप लगाया कि इस छापेमारी के पीछे आबकारी नीति का मुद्दा नहीं है, अगर ये मुद्दा होता तो पहले गुजरात में छापेमारी होती, जहां जहरीली शराब बनाई जा रही है.
अनुराग ठाकुर बोले- कोई घोटाला नहीं तो शराब नीति वापस क्यों?
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि शराब के ठेकों में भ्रष्टाचार का मामला है. मनीष सिसोदिया आबकारी मंत्री हैं. ठाकुर ने आरोप लगाया कि जिस दिन सीबीआई को जांच सौंपी गई, उसी दिन से शराब नीति वापस ले ली गई. मुद्दा ये है अगर शराब नीति में कोई घोटाला नहीं था तो उसे वापस क्यों लिया गया?
दिल्ली लूटने वालों को जाना होगा जेल: कपिल मिश्रा
वहीं इस मामले में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि सत्येंद्र जैन का करप्शन पकड़ा जा चुका है, अब सिसोदिया के घोटाले जनता के सामने आ रहे हैं. शराब के ठेकों के नाम पर करोड़ों रुपये की लूट का मामला सिर्फ शुरुआत है. केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है. दिल्ली को लूटने वालों को जेल जाना ही पड़ेगा.
पुरानी नीति-नई नीति में क्या फर्क?
अब इस शराब घोटाले के विवादित बिंदु को अगर सरल भाषा में समझना हो तो सबसे पहले पुरानी नीति को समझना जरूरी हो जाता है. पहले शराब बिक्री के व्यापार में दिल्ली सरकार पूरी तरह शामिल थी. दिल्ली में सरकार की अपनी Liquor Shops होती थीं, जिन्हें Excise Department द्वारा नियंत्रित किया जाता था. लेकिन नई पॉलिसी के तहत इस पूरे ढांचे को खत्म कर दिया गया. दिल्ली सरकार ने तय किया कि वो इस बिज़नेस का हिस्सा नहीं रहेगी और Private Players ही दिल्ली में शराब की बिक्री करेंगे.
32 जोन में बांटी गई दिल्ली
इसके तहत दिल्ली को 32 ज़ोन में बांटा गया और हर ज़ोन में 27 Private Vendors को शराब की बिक्री का लाइसेंस दे दिया गया. यानी इस नीति के तहत दिल्ली के हर वॉर्ड में दो से तीन Liquor Vendors हो गए. इसके अलावा आरोप है कि मनीष सिसोदिया के विभाग द्वारा इन Private Vendors को भारी डिस्काउंट पर शराब बेचने की छूट दी गई.