दिल्ली में सियासत तेज हो गई है. जहां एक ओर आम आदमी पार्टी सीलिंग, एफडीआई, नोटबंदी और जीएसटी पर भाजपा को घेरने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर AAP के 20 विधायकों पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में कार्रवाई हो गई है. उनकी सदस्यता ही रद्द कर दी गई है. ऐसे में 67 विधायकों के बहुमत से आई AAP के पास अब सिर्फ 46 विधायक ही बचे हैं.
20 विधायकों के सदस्यता खत्म होने को लेकर बौखलाई आम आदमी पार्टी जहां एक ओर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रही है, वहीं दूसरी ओर उप-चुनाव की संभावनाओं को देखते हुए आम जनता से सहानुभूति हासिल करने में जुट गई है.
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दिल्ली की जनता को एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने 20 विधायकों को निरस्त करने की कार्रवाई को गलत ठहराया है.
मनीष सिसोदिया ने अपना पत्र ट्विटर के जरिये लोगों को भेजा है. उन्होंने लिखा है कि क्या चुने हुए विधायकों को इस तरह गैर-संवैधानिक और गैर-कानूनी तरीके से बर्खास्त करना सही है? क्या दिल्ली को इस तरह चुनावों में धकेलना ठीक है? क्या ये गंदी राजनीति नहीं है?
दिल्ली की जनता के लिए मेरा एक पत्र
क्या चुने हुए विधायकों को इस तरह गैर-संवैधानिक और गैर-कानूनी तरीके से बर्खास्त करना सही है?
क्या दिल्ली को इस तरह चुनावों में धकेलना ठीक है?
क्या ये गंदी राजनीति नहीं है? pic.twitter.com/9QzU52bTay
— Manish Sisodia (@msisodia) January 22, 2018
अपने पत्र में सिसोदिया ने लिखा कि आज इस खुले पत्र के माध्यम से मैं आपसे सीधे बात करना चाहता हूं. मन दुःखी है, पर निराश नहीं हूं. क्योंकि मुझे आप पर भरोसा है. दिल्ली के और देश के लोग मेरी आशा हैं.
तीन साल पहले आपने 70 में से 67 विधायक चुनकर आम आदमी पार्टी की सरकार बनायी थी. आज इन्होंने आपके 20 विधायकों को बर्खास्त कर दिया. इनका कहना है कि ये 20 विधायक “लाभ के पद” पर थे.
मनीष सिसोदिया ने पत्र में लिखा कि हमने इन 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था और इन्हें अलग-अलग जिम्मेदारियां दी थी. जैसे एक विधायक को सरकारी स्कूलों की ज़िम्मेदारी दी. वो रोज सरकारी स्कूलों में जाता था, देखता था कि टीचर आए हैं, सब कुछ ठीक चल रहा है. जहां जरूरत होती थी, वहां ऐक्शन लेता था.
इसी तरह एक विधायक को सरकारी अस्पतालों की जिम्मेदारी दी, एक विधायक को मोहल्ला क्लीनिक की जिम्मेदारी दी. इस तरह 20 विधायकों को हमने अलग-अलग जिम्मेदारियां दी. बदले में इन विधायकों को कोई सरकारी गाड़ी नहीं दी, कोई बंगला नहीं दिया, एक नया पैसा तनख्वाह नहीं दी. कुछ भी नहीं दिया. ये सभी विधायक अपने ख़ुद के पैसे खर्च करके काम करते थे, क्योंकि ये सब आंदोलन से आए थे और देश के लिए काम करने का जुनून था.