राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ई-रिक्शा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई टलने से अब ई-रिक्शा के परिचालन पर 20 अगस्त तक रोक जारी रहेगी. नियमित पीठ के जज बीडी अहमद और सिद्धार्थ मृदुल के इकट्ठा नहीं होने की वजह से मामले की सुनवाई टल गई है.
मामले में अदालत को गुरुवार 14 अगस्त को सरकार के प्रस्ताव की समीक्षा करनी थी. अंतिम सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने एक प्रस्ताव के तहत 15 अक्टूबर तक ई-रिक्शा चालकों को परिवहन विभाग द्वारा पहचान सह परिचालन की अस्थाई अनुमति देने की बात कही थी. इस दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने अदालत से कहा था कि लाखों लोगों की आजीविका को ध्यान में रखते हुए राजधानी में ई-रिक्शा के परिचालन की अनुमति दी जाए. हालांकि अदालत ने रोक हटाने से इनकार कर दिया था और केंद्र सरकार को प्रस्ताव के साथ हलफनामा दायर करने के लिए कहा था.
क्या है केंद्र के प्रस्ताव में...
पीठ के सुझाव के आधार पर केंद्र सरकार ने भी एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसके अनुसार, 'अपेक्षित शर्तों को पूरा करने के लिए राज्य परिवहन विभाग पूरी दिल्ली में ई-रिक्शा चालकों को व्यावसायिक ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने पर सहमत है.' प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि ई-रिक्शा संगठनों को 10 लाख रुपये का बीमा कोष भी रखना होगा ताकि किसी के घायल या मौत होने पर मुआवजा सुनिश्चित किया जा सके.'
बीमा के तहत परिचालन के दौरान गंभीर रूप से घायल को 25 हजार, जबकि मृतक को एक लाख का मुआवजा देना होगा. दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि यहां ई-रिक्शा का परिचालन तब तक शुरू नहीं होगा, जब तक इसके चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन का बीमा और पंजीकरण नहीं होगा. दिशा-निर्देश में वाहन की अधिकतम गति सीमा 25 किलोमीटर प्रति घंटा, चार सवारी और 50 किलोग्राम तक भार के ढोने की बात कही गई थी.