दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने CABE की बैठक में रखे प्रस्ताव का ऐलान किया है. उन्होंने बताया कि बैठक में शिक्षा नीति से जुड़े मुख्य 3 मुद्दों पर चर्चा हुई. इस दौरान सिसोदिया ने कहा कि भारत में शिक्षा पर बहुत कम खर्च किया जाता है.
उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र के आयोग होंगे, काउंसिल होंगी, इससे शिक्षा आयोग में फंस जाएगी. लेकिन आगे का रोड मैप क्या होगा? सिसोदिया ने कहा कि मैंने आज इस बात का प्रस्ताव रखा है कि कानून बने जिसमें केंद्र और राज्य सरकार जीडीपी के 6 फीसदी के बारबर रकम शिक्षा बजट के लिए रखें.
उन्होंने कहा कि शिक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए. लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कई नियम प्राइवेट स्कूल को बढ़ावा देते हैं.
सिसोदिया ने कहा, 'नई शिक्षा पॉलिसी प्राइवेट शिक्षा बोर्ड बनाने की तरफ इशारा करती है. मेरे द्वारा प्राइवेट बोर्ड का विरोध किया गया है. प्राइवेट बोर्ड से शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा, हर कोई अपने स्कूल की चैन बना लेगा जो सही नहीं होगा.'
उन्होंने कहा कि देश में फर्जी डिग्री सबसे बड़ी चुनौती है. फेक डिग्री को रोकने के लिए कोई हल नहीं है. नई शिक्षा नीति में हर कॉलेज को डिग्री देने का अधिकार है, जो नहीं देना चाहिए.
साथ ही सिसोदिया ने कहा कि देश के सारे इंस्टिट्यूट को मल्टी फैकल्टी बनाना एक गलत आईडिया है. सरकार शिक्षा दे यह जरूरी है लेकिन प्राइवेट बोर्ड बनाना सही नहीं होगा.