आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल अपने विकास के एजेंडे पर दिल्ली चुनाव में प्रचंड जीत के साथ सत्ता के सिंहासन पर लगातार तीसरी बार काबिज होने जा रहे हैं. केजरीवाल सरकार के सभी मंत्रियों के साथ-साथ पार्टी के दिग्गज नेता भी इस बार विधायक बनने में कामयाब रहे हैं. ऐसे में केजरीवाल के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया था कि किसे वो अपनी कैबिनेट में जगह दें और किसे नहीं. इसलिए उन्होंने नए चेहरे के तौर पर किसी को शामिल करने के बजाय अपने सभी पुराने कैबिनेट सहयोगियों को जगह देने का फैसला किया है.
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विधायक दल की बैठक के बाद अरविंद केजरीवाल ने AAP के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ मंत्रिमंडल के सदस्यों के नामों पर चर्चा की. इसमें पार्टी के तीन वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा, दिलीप पांडे व आतिशी का नाम सामने आया. वहीं, सिख समुदाय के प्रतिनिधि के तौर पर जरनैल सिंह के नाम पर भी चर्चा हुई, जबकि मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के नाम पर भी चर्चा हुई. ऐसे में केजरीवाल ने कैबिनेट पर ज्यादा माथापच्ची करने के बजाए पुराने और अनुभवी चेहरों पर दांव लगाने का फैसला किया.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत दिल्ली सरकार के मौजूदा मंत्रिमंडल ने बेहतर तरीके से काम किया है. सरकार ने काम के दम पर चुनाव जीतकर सत्ता की हैट्रिक लगाई है. सभी मंत्री विधायक भी बने हैं. ऐसे में मंत्रियों को हटाने से संदेश ठीक नहीं जाएगा, इसीलिए दिल्ली की नई सरकार में पुराने मंत्रियों के साथ आगे की सत्ता की पारी खेलने का फैसला किया.
ये रहे हैं केजरीवाल सरकार में मंत्री
केजरीवाल सरकार में मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, सत्येंद्र जैन, इमरान हुसैन, कैलाश गहलोत और राजेंद्र पाल गौतम मंत्री हैं. केजरीवाल इनमें से किसी को भी मंत्रिमंडल से ड्रॉप नहीं करना चाहते हैं. यही वजह है कि केजरीवाल अपनी पुरानी टीम के साथ एक बार फिर सरकार चलाने का कदम उठा रहे हैं.