दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला. इसी का नतीजा था कि आम आदमी पार्टी दिल्ली की 70 में से 62 सीटें जीतने में कामयाब रही और बीजेपी को महज 8 सीटों से संतोष करना पड़ा. दिल्ली में बीजेपी को शाहीन बाग को मुद्दा बनाकर हिंदू वोटों का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करने की कोशिशों में कामयाबी नहीं मिली. वहीं, मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर आम आदमी पार्टी को वोट दिया है. इसका नतीजा रहा कि मुस्लिम बहुल सीटों पर कांग्रेस अपनी जमानत भी नहीं बचा सकी.
दिल्ली में 12 फीसदी मुस्लिम मतदाता है और आठ सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. दिल्ली में एक दौर में मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद कांग्रेस हुआ करती थी. यह सोच 2015 में बदल गई थी और 2020 में शाहीन बाग मुद्दे ने मुस्लिमों को AAP के पक्ष में मजबूती से लामबंद किया. इसका असर चुनाव नतीजों में साफ देखा गया कि केजरीवाल के मुस्लिम इलाकों में प्रचार न करने के बाद भी आम आदमी पार्टी के सभी पांच मुस्लिम उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे जबकि पिछले चुनाव में पार्टी के चार मुस्लिम विधायक ही जीत सके थे.
ओखला में अमानतुल्ला खान रिकॉर्ड मतों से जीते
दिल्ली के ओखला विधानसभा क्षेत्र के तहत शाहीन बाग आता है, जहां करीब 60 दिनों से महिलाएं सीएए के खिलाफ धरने पर बैठी हैं. बीजेपी ने शाहीन बाग के मुद्दे को लेकर आक्रमक रुख अख्तियार कर रखी थी. ओखला से आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान ने मुस्लिम विधायकों में सबसे बड़ी जीत दर्ज की है. अमानतुल्लाह ने चुनाव में 130367 वोट हासिल करते हुए बीजेपी के ब्रह्म सिंह को 71827 को मतों से मात दी. इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चार बार विधायक और फिर राज्यसभा सदस्य रहे परवेज हाशमी को महज 4,575 वोट मिले और वो अपनी जमानत भी नहीं बचा सके.
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शाहीन बाग की तर्ज पर दिल्ली के सीलमपुर में भी महिलाएं धरने पर बैठी हैं. इस सीट पर आम आदमी पार्टी के अब्दुल रहमान ने जीत दर्ज की है, जो अमानतुल्लाह खान के करीबी माने जाते हैं. सीलमपुर में सीएए के खिलाफ हुई हिंसा के लिए अब्दुल रहमान पर आरोप लगे थे. रहमान ने 72,694 वोट हासिल कर बीजेपी के कौशल कुमार मिश्रा को 36,920 वोटों से मात दी है. कांग्रेस के चौधरी मतीन अहमद तीसरे नंबर पर रहे और उन्हें 20,247 मत मिले हैं.
हारुन यूसुफ नहीं बचा सके जमानत
सीएए के खिलाफ बल्लीमरान विधानसभा क्षेत्र के ईदगाह में महिलाएं धरने पर बैठी हैं. यहां से आम आदमी पार्टी के इमरान हुसैन ने 65,644 वोट हासिल कर भाजपा की उम्मीदवार लता सोढ़ी को 36,172 वोटों से मात दी है. शीला सरकार में मंत्री रहे और कांग्रेस के मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले हारुन यूसुफ को महज 4,802 मिले और वो अपनी जमानत भी नहीं बचा सके.
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मटिया महल विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी से शोएब इकबाल ने बीजेपी के रविंद्र गुप्ता को 50,241 मतों से मात दी है. कांग्रेस के उम्मीदवार मिर्जा जावेद अली को महज 3,409 वोट मिले और अपनी जमानत नहीं बचा सके. शोएब इकबाल की आम आदमी पार्टी में एंट्री कराने में अमानतुल्लाह खान की अहम भूमिका रही है.
AAP ने मुस्तफाबाद में पहली बार जीत दर्ज की
मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हाजी युनूस ने जीत दर्ज की है. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार प्रधान को 20704 मतों के अंतर से मात दी. इस सीट से 2008 और 2013 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले हसन अहमद के बेटे अली महदी को 5,363 मत मिले और जमानत नहीं बचा सके.
इन पांच विधानसभा सीटों के अलावा बाकी मुस्लिम बहुल सीटों पर आम आदमी पार्टी जीतने में कामयाब रही है. चांदनी चौक, किराड़ी, बाबरपुर, संगम विहार और त्रिलोकपुरी सीट पर केजरीवाल के उम्मीदवारों के पक्ष में मुस्लिम मतदाताओं ने वोट किया है. इन विधानसभा क्षेत्रों में 35 से 60 फीसदी तक मुस्लिम मतदाता हैं. साथ ही त्रिलोकपुरी और सीमापुरी सीट पर भी मुस्लिम मतदाता काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं.