दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. लगातार दूसरी बार कांग्रेस दिल्ली में अपना खाता नहीं खोल पाई है जिसके बाद पार्टी में आपसी कलह खुलकर सामने आ रही है. दिल्ली के प्रभारी पद से इस्तीफा देने वाले पीसी चाको ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व पर सवाल उठाए तो अब जवाब देने के लिए मिलिंद देवड़ा और पवन खेड़ा मैदान में आ गए हैं. दोनों नेताओं ने शीला दीक्षित का बचाव किया और उनकी तारीफ की.
पवन खेड़ा ने आंकड़ों में समझाया शीला का योगदान
पीसी चाको के द्वारा उठाए गए सवालों पर जवाब देते हुए पवन खेड़ा ने आंकड़ों में शीला के योगदान को गिनाया. पवन खेड़ा ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘2013 में जब कांग्रेस पार्टी हारी थी तो 24.55 फीसदी वोट मिला था. शीला जी 2015 में बिल्कुल एक्टिव नहीं थीं, तो वोट 9.7 पर फिसल कर आ गया था. 2019 में लोकसभा के दौरान उन्होंने पद संभाला तो 22.46 फीसदी वोट प्रतिशत हो गया था’.
Just a data point. In 2013, when we lost, @INCIndia vote share in Delhi was 24.55%. Sheila ji was not involved in 2015, when the vote share slipped to 9.7%. In 2019, when she was back in charge, the vote share came up to 22.46%. https://t.co/MvwHouRILh
— Pawan Khera (@Pawankhera) February 12, 2020
मिलिंद देवड़ा ने भी किया था शीला को सलाम
कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने भी ट्विटर पर पीसी चाको को जवाब दिया था और शीला दीक्षित का बचाव किया था. कांग्रेस नेता ने लिखा था कि शीला दीक्षित जी एक शानदार राजनेता और प्रशासक थीं. उनके कार्यकाल में कांग्रेस काफी मजबूत हुई और दिल्ली ने बड़ा बदलाव भी देखा. इस तरह उनके निधन के बाद हार का दोष लगाना पूरी तरह से गलत है. उन्होंने अपना जीवन दिल्ली की जनता और कांग्रेस को समर्पित किया था.
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क्या बोले थे पीसी चाको?
बता दें कि पीसी चाको दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी थे और बुधवार को नतीजों के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दिया. हालांकि, इससे पहले पीसी चाको ने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस का पतन 2013 में शुरू हुआ जब शीला दीक्षित अगुवाई कर रही थीं. तब से ही कांग्रेस का वोटबैंक आम आदमी पार्टी के पास चला गया था जो कि अभी तक नहीं आ पाया है. इसी बयान के बाद कांग्रेस नेताओं ने पीसी चाको पर सवाल खड़े किए थे.
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पीसी चाको और शीला दीक्षित के बीच पहले भी कई बार अनबन होती रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जब आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की बात कही थी, तब पीसी चाको ने इसका समर्थन किया था. कांग्रेस और AAP में गठबंधन की बात आगे भी बढ़ गई थी. लेकिन जब शीला दीक्षित को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो गठबंधन नहीं हो पाया. दिल्ली में लोकसभा की सातों सीटें भाजपा के खाते में गई थीं.