दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली करारी हार के बाद मंथन का दौर जारी है. भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी इस हार को मापने में लगा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मैगज़ीन में इस हार के कारण गिनाए गए हैं, जिनमें से एक संगठन में कमी भी रहा. इसमें कहा गया है कि हमेशा नरेंद्र मोदी और अमित शाह हार से बचाने के लिए नहीं आ सकते हैं, संगठन में बदलाव की जरूरत है. इस समीक्षा में शाहीन बाग से लेकर नागरिकता संशोधन एक्ट पर बात कही गई है.
RSS की मैग्जीन ऑर्गनाइज़र में Delhi’s Divergent Mandate के नाम से छपे इस लेख में आम आदमी पार्टी के उदय पर भी चर्चा की गई है. लेख में कहा गया है, ‘दिल्ली चुनाव के नतीजे कई विषयों पर सोचने के लिए मजबूर करते हैं, इनमें विकास से लेकर नागरिकता संशोधन एक्ट समेत कई मुद्दों ने अहम रोल निभाया. दिल्ली में हमेशा वोटर कांग्रेस बनाम बीजेपी में बंटा रहा है, लेकिन लगातार MCD में कब्जा करने के बाद भी बीजेपी 2013 में कांग्रेस को मात नहीं दे सकी’.
वोटरों के रुझान के बारे में लेख में कहा गया है, ‘दिल्ली में जनसंघ से बीजेपी तक एक पक्का वोटबैंक रहा है, लेकिन बाहर से आने वाले लोग जो अधिकतर झुग्गियों में बसते हैं वो पहले कांग्रेस के पाले में गए और फिर AAP के पाले में चले गए जिसने चुनावी अंतर पैदा किया. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई लहर नहीं थी, पानी-बिजली के मुद्दे ने उन्हें काफी बढ़त दिखाई. बीजेपी ने अनाधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा उठाया, लेकिन काफी देरी हो चुकी थी. नरेंद्र मोदी और अमित शाह हमेशा बचाने के लिए नहीं आ सकते हैं, ऐसे में अब दिल्ली में लोगों के हिसाब से संगठन में बदलाव की जरूरत है’.
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शाहीन बाग पर क्या कहा?
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में शाहीन बाग में हो रहा प्रदर्शन बड़ा मुद्दा रहा. RSS की ओर से भी इस मसले पर विचार रखे गए. ऑर्गनाइज़र में लिखा गया कि शाहीन बाग के मुद्दे को AAP ने इस्तेमाल किया, वो भी अप्रत्यक्ष रूप से किया गया.
CAA के नाम पर मुस्लिम कट्टरपंथ का ये जिन्न जो प्रयोग में लाया जा रहा है, वह केजरीवाल के लिए नया टेस्टिंग ग्राउंड हो सकता है. केजरीवाल किस तरह इस मसले से निबटते हैं? क्या हनुमान चालीसा को पढ़ना सिर्फ एक हथियार था? क्या करप्शन का मसला आगे भी रहेगा? इनपर दिल्ली वाले जरूर जवाब मांगेंगे.
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गौरतलब है कि चुनाव के दौरान बीजेपी के नेताओं ने शाहीन बाग के मसले पर भड़काऊ बयान दिए थे, जिनपर काफी विवाद हुआ था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी एक बयान में माना था कि ऐसे बयानों के कारण पार्टी को चुनाव में नुकसान हुआ.