दिल्ली विधान सभा की पर्यावरण समिति ने शहर में मैनुअल सफाई के कारण धूल और वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को तीनों एमसीडी के कमिश्नर को तलब किया. बैठक के बाद पर्यावरण समिति की अध्यक्ष आतिशी ने कहा कि यह बहुत ही चौंकाने वाला है कि दिल्ली के निगम आयुक्तों को अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सड़कों की लंबाई के बारे में कोई जानकारी नहीं है, वे कोई सही योजना पेश नहीं कर सके. दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति के मुताबिक मैकेनिकल सफाई करने वाले ठेकेदार द्वारा निर्धारित क्षेत्र की सफाई नहीं करने की स्थिति में जुर्माने की कोई व्यवस्था भी नहीं है.
दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति ने कहा है कि बैठक में अधिकारियों को एनजीटी के आदेशों की पूरी जानकारी नहीं थी. वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए आयोजित बैठक में कहा गया कि दिल्ली में सड़क की धूल, वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है. एनजीटी के आदेशों के अनुसार सभी एमसीडी को मैनुअल स्वीपिंग से होने वाली एसपीएम को कम करने के लिए एमआरएस मशीनों का उपयोग करने के लिए निर्देशित किया गया था. जब सड़कों की लंबाई के आधार पर सफाई के नियमों को लेकर सवाल किया गया तो अधिकारी कुल मशीनों की संख्या, अनुबंध के आधार पर काम करने के मापदंड से अनजान थे. इस संबंध में समिति ने तीनों निगमों को 7 दिन में विस्तृत योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा है.
दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति ने एमसीडी के एमआरएस मशीनों का उपयोग बढ़ाने को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनाने पर सवाल खड़े किए. एनजीटी ने धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के संबंध में एमसीडी को एसपीएम को नियंत्रित करने के लिए एमआरएस मशीनों का इस्तेमाल करने के लिए आदेश दिया था. बैठक के दौरान पाया गया कि एमसीडी के पास अपने अधिकार क्षेत्र में इसका विस्तार करने के लिए कोई स्पष्ट कार्य योजना नहीं है.
दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति ने एमसीडी के अधिकार क्षेत्र में सफाई को लेकर सड़कों की कुल लंबाई के बारे में जानकारी नहीं होने पर नाराजगी जताई. समिति टेरी और एनजीटी के आदेशों की सिफारिशों पर चर्चा कर रही थी ताकि मैनुअल स्वीपिंग से उत्पन्न होने वाले धूल प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके। समिति ने एमसीडी को सड़कों की मशीनीकृत सफाई की लंबाई, चलने की शिफ्ट, जांच करने के उपाय और ठेकेदारों के ऊपर दंडात्मक प्रावधानों को लेकर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है। सात दिन के अंदर समिति को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है.