दिल्ली की केजरीवाल सरकार इस साल कोरोना संकट को देखते हुए प्रदूषण से निपटने के लिए ताबड़तोड़ फैसले ले रही है. दो दिन पहले ही पराली गलाने के लिए दिल्ली सरकार ने 11 अक्टूबर से खेतों में 'बायो डिकम्पोजर' घोल का छिड़काव करने का ऐलान किया है. वहीं गुरुवार को प्रदूषण नियंत्रण के उपायों पर नजर रखने के लिए ''ग्रीन वॉर रूम'' की शुरुआत की है. दिल्ली सचिवालय में सातवें फ्लोर पर एक ग्रीन वॉर रूम बनाया गया है. जिससे कि सरकार द्वारा किए जा रहे सभी उपायों पर पूरी निगरानी रखी जा सके.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वॉर रूम का उद्घाटन किया. बाद में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अब हम प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे सभी उपायों पर वॉर रूम से निगरानी रख सकेंगे. इस वॉर रूम में तीन बड़ी स्क्रीन लगायी गयी हैं. एक स्क्रीन पर रियल टाइम डेटा यानी अलग-अलग इलाकों में पीएम-10, पीएम-2.5 की मौजूदा स्थिति देखी जा सकेगी. वहीं दूसरी स्क्रीन पर दिल्ली के 13 हॉटस्पॉट की करंट स्थिति देखी जा सकेगी. हॉटस्पॉट वो जगहें हैं जहां प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा है.
वहीं तीसरी स्क्रीन पर नासा और इसरो सैटेलाइट से दिल्ली और आसपास के राज्यों में पराली या कूड़ा जलाने की स्थिति पर निगरानी रखी जा सकेगी. इस वॉर रूम को मॉनिटर करने के लिए हर वक्त 10 लोगों की टीम मौजूद रहेंगी. इसके अलावा इस वॉर रूम के जरिये उन शिकायतों पर भी काम किया जायेगा जो ग्रीन दिल्ली एप के जरिए मिलेंगी.
इस वॉर रूम के जरिए सभी शिकायतें, संबंधित एजेंसी के पास ऑटोमेटिक चली जाएंगी. जिसके बाद वॉर रूम एजेंसी से संपर्क कर उसका निपटारा करेगा.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 5 अक्टूबर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ‘युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध’ अभियान शुरू किया है. यह अभियान सभी लोगों के सहयोग के बिना संभव नहीं है. दिल्ली के अंदर अलग-अलग एजेंसियां हैं. सभी लोगों को कोऑर्डिनेट करने के लिए दिल्ली सचिवालय में एक केंद्रीकृत वॉर रूम शुरू किया गया है.
गोपाल राय ने आगे कहा कि पड़ोसी राज्यों को भी प्रदूषण से निपटने के लिए तैयारी करनी होगी. खासतौर पर पराली जलाये जाने को रोकना होगा ताकि कोरोना महामारी के बीच प्रदूषण की समस्या से ना जूझना पड़े.
जाहिर है सर्दी के दिनों में हर साल दिल्ली वालों को भयंकर प्रदूषण का सामना करना पड़ता है. इस मौसम में खासकर फेफड़े से जुड़े मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं इस साल पूरी दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है. कोरोना वायरस भी फेफड़े को ही सबसे अधिक प्रभावित करता है. ऐसे में अगर इस साल दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के कारगर उपाय नहीं हुए तो परिणाम घातक हो सकते हैं.