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Delhi excise policy case: मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के एक साल पूरे, जानिए इस केस में कब, क्या हुआ

दिल्ली शराब घोटाले मामले में आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को आज एक साल पूरे हो गए. पिछले साल गिरफ्तार हुए सिसोदिया ने कई मौकों पर जमानत की मांग की, लेकिन उन्हें कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. फ़िलहाल सिसोदिया के लिए कानूनी चुनौतियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं और वह अब भी जेल में हैं.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

दिल्ली शराब घोटाले मामले में आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को आज एक साल पूरे हो गए. पिछले साल गिरफ्तार हुए सिसोदिया ने कई मौकों पर जमानत की मांग की, लेकिन उन्हें कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. फ़िलहाल सिसोदिया के लिए कानूनी चुनौतियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं और वह अब भी जेल में हैं. कई दौर की पूछताछ के बाद दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के बनाने और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के लिए 26 फरवरी, 2023 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था.

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उनसे मौजूदा समय में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) लगातार पूछताछ कर रही है. गिरफ़्तारी के बाद 28 फरवरी को सिसोदिया ने दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. 

ट्रायल कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार
31 मार्च को ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई द्वारा जांच किए गए भ्रष्टाचार के एक मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्हें कथित शराब घोटाले का प्रथम दृष्टया दोषी बताया गया था. इसके बाद ED मामले में भी जमानत खारिज कर दी गई.

दिल्ली HC ने जमानत देने से इनकार किया
जब इस फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई, तो जज ने पिछले साल जुलाई में उन्हें यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि उनके खिलाफ आरोप "बहुत गंभीर प्रकृति" के हैं. हालांकि, सिसोदिया के वकील ने यह तर्क दिया कि इस मामले में सिसोदिया को अकेला छोड़ दिया गया है और उन पर साजिश का आरोप लगाया जा रहा है.

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मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट ने सही माना. हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को "तर्कसंगत आदेश" मानते हुए मनीष को जमानत देने से इनकार कर दिया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया. जबकि शीर्ष अदालत ने सीबीआई और ईडी से कहा था कि वह सिसोदिया को "अनिश्चित अवधि" के लिए जेल में नहीं रख सकते, लेकिन मनीष की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी. 

शीर्ष अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था और अपना आदेश सुनाते हुए कहा था कि मामले में 338 करोड़ रुपये के धन का लेन-देन "अस्थायी रूप से स्थापित" किया गया था. हालांकि, SC ने कहा था कि अगर मुकदमा लापरवाही से या धीमी गति से आगे बढ़ता है तो सिसोदिया को तीन महीने के भीतर फिर से जमानत के लिए आवेदन करने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका लगाई गई लेकिन वह भी ख़ारिज हो गई.

बीमार पत्नी से मिलने के लिए एक दिन का समय
नवंबर में मनीष सिसोदिया को अपनी बीमार पत्नी से मिलने के लिए उनके घर पर जाने की इजाजत दी गई थी. दिल्ली की एक अदालत ने तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में बंद सिसोदिया को सुरक्षा के बीच सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच अपनी पत्नी से मिलने की अनुमति दी थी. अदालत ने उन्हें इस दौरान मीडिया से बात नहीं करने या किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होने का भी आदेश दिया था.

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