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मनीष सिसोदिया को 5 दिन की CBI रिमांड क्यों? कस्टडी में किन नियमों का करना होगा पालन? जानें सबकुछ

दिल्ली की शराब नीति में कथित घोटाले के मामले में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया है. सिसोदिया को सीबीआई ने रविवार को आठ घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. हालांकि, कस्टडी में भेजने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना होगा, अदालत ने इसके नियम भी तय किए हैं.

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मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. (फाइल फोटो-PTI)
मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. (फाइल फोटो-PTI)

Manish Sisodia Exice Policy Case: दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पांच दिन की सीबीआई हिरासत में हैं. दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को उन्हें पांच दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया. सीबीआई ने रविवार को आठ घंटे पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. 

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मनीष सिसोदिया पर दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी 2021-22 में गड़बड़ी करने का आरोप है. उनपर एक्साइज पॉलिसी बनाते समय और उसे लागू करते समय नियमों के उल्लंघन करने का आरोप है. 

इन सबके बीच मनीष सिसोदिया सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. उन्होंने अपनी गिरफ्तारी और कथित शराब घोटाले में सीबीआई जांच के तरीके को चुनौती दी है. इस पर मंगलवार दोपहर साढ़े तीन बजे सुनवाई होगी. 

दिल्ली की शराब नीति में कथित घोटाले में सीबीआई ने पिछले साल अगस्त में केस दर्ज किया था. इसमें सीबीआई ने मनीष सिसोदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को आरोपी बनाया है. मनीष सिसोदिया को इसलिए आरोपी बनाया गया है, क्योंकि एक्साइज डिपार्टमेंट उन्हीं के पास है. 

बहरहाल, सिसोदिया अब 4 मार्च तक सीबीआई की हिरासत में रहेंगे. उनसे एक्साइज पॉलिसी में हुई कथित गड़बड़ी को लेकर पूछताछ की जाएगी. हालांकि, अदालत ने कस्टडी को लेकर कुछ नियम भी तय किए हैं. पर उससे पहले जानते हैं सीबीआई को कस्टडी क्यों मिली?

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अदालत ने क्या कहा?

- सीबीआई ने मनीष सिसोदिया की पांच दिन की हिरासत मांगी थी. सीबीआई की इस मांग को मानते हुए स्पेशल जज एमके नागपाल ने सिसोदिया को 4 मार्च तक की हिरासत में भेज दिया.

- अदालत ने कहा कि सिसोदिया भले ही पहले दो बार जांच में शामिल हुए हों, लेकिन वो ज्यादातर सवालों के संतोषजनक जवाब देने में नाकाम रहे हैं. इस तरह, अब तक की जांच में उनके खिलाफ जो भी कथित आपत्तिजनक सबूत सामने आए हैं, उनकी सफाई देने में वो फेल रहे हैं.

- कोर्ट ने कहा कि ये सच है कि उनसे ऐसे बयानों की उम्मीद नहीं की जा सकती, जिससे वो खुद अपराधी साबित हो जाएं, लेकिन न्याय के हितों और निष्पक्ष जांच के लिए उन्हें कुछ सवालों के सही जवाब देना जरूरी है.

- जज नागपाल ने कहा कि उनके अंडर में काम करने वाले कुछ लोगों ने ऐसे तथ्य बताए हैं, जिन्हें उनके खिलाफ केस में इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही कुछ दस्तावेजी सबूत भी सामने आए हैं. इसलिए सही और निष्पक्ष जांच के लिए ये जरूरी है कि उनसे जो पूछा जा रहा है, उसके वो सही और वैध जवाब दें और ये हिरासत में ही हो सकता है.

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4 मार्च तक सीबीआई की हिरासत में रहेंगे मनीष सिसोदिया. (फाइल फोटो-PTI)

कस्टडी को लेकर क्या नियम बनाए?

- पांच दिन की हिरासत में सिसोदिया से सीबीआई ऐसी जगह पूछताछ करेगी, जहां सीसीटीवी कैमरा लगा होगा. इसकी फुटेज सीबीआई संभालकर रखेगी.

- सिसोदिया ने पूछताछ के दौरान थर्ड डिग्री या टॉर्चर की आशंका जताई थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि हर 48 घंटे में एक बार सिसोदिया की मेडिकल जांच की जाएगी.

- इसके अलावा हर शाम 6 से 7 बजे के बीच आधे घंटे अपने वकील से बात कर सकेंगे. बातचीत ऐसी जगह होगी, जहां अधिकारी सुन न सकें. इसी एक घंटे में 15 मिनट का समय सिसोदिया पत्नी से मुलाकात कर सकते हैं.

क्या है एक्साइज पॉलिसी केस?

- दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी लागू की थी. सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा. इस एक्साइज पॉलिसी में सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई थी और पूरा जिम्मा निजी कंपनियों को सौंप दिया था.

- जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव ने एलजी वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया. रिपोर्ट में दावा किया कि एक्साइज पॉलिसी को बनाते समय और लागू करते समय नियमों का उल्लंघन किया गया.

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- मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि एक्साइज डिपार्टमेंट के प्रभारी होने के नाते मनीष सिसोदिया ने ऐसे फैसले लिए, जिससे वित्तीय गड़बड़ियां हुईं. सिसोदिया पर एक्साइज पॉलिसी के नियमों के उल्लंघन का आरोप भी है.

- रिपोर्ट में कहा गया कि सिसोदिया ने कथित तौर पर टेंडर दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा. 

सिसोदिया पर एक्साइज पॉलिसी में नियमों के उल्लंघन का आरोप है. (फाइल फोटो-PTI)

सिसोदिया पर क्या-क्या आरोप? 

- शराब कारोबारियों को लाइसेंस फीस में 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी. इसके लिए कोरोना का बहाना बनाया गया. आरोप है कि इस छूट के लिए कैबिनेट को लूप में नहीं रखा गया, बल्कि मंत्री स्तर पर ही फैसला ले लिया गया. 

- एक्साइज डिपार्टमेंट ने एयरपोर्ट जोन में L1 लाइसेंसधारी को 30 करोड़ रुपये वापस कर दिए थे, क्योंकि उसे एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से दुकान खोलने की अनुमति नहीं मिली थी. जबकि, ये रकम जब्त की जानी थी. 

- इसके अलावा विदेशों से आने वाली बीयर पर 50 रुपये प्रति केस के हिसाब से रकम ली जाती थी. इस फैसले को भी बिना किसी मंजूरी के वापस ले लिया गया. इससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा. 

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- इतना ही नहीं, आरोप ये भी हैं कि L7Z और L1 लाइसेंसधारियों का लाइसेंस पहले 1 अप्रैस से 31 मई और फिर 1 जून से 31 जुलाई तक बढ़ा दिया गया और इसके लिए एलजी की मंजूरी भी नहीं ली गई.

घोटाले के मुख्य किरदार कौन? 

- दिल्ली की शराब नीति में कथित घोटाले के मामले में सीबीआई ने पिछले साल अगस्त में FIR दर्ज की थी. इस मामले में मनीष सिसोदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया है. 

- सीबीआई ने आरोपियों पर आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं के तहत केस दर्ज किया है. इनमें तीन पूर्व सरकारी अफसर एजी कृष्णा (पूर्व एक्साइज कमिश्नर), आनंद तिवारी (पूर्व डिप्टी एक्साइज कमिश्नर) और पंकज भटनागर (पूर्व असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर) शामिल हैं. 

- इसमें अमित अरोड़ा (बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर), दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे को भी आरोपी बनाया गया है. इन तीनों को सिसोदिया का करीबी माना जाता है. आरोप है कि तीनों ने आरोपी सरकारी अफसरों की मदद से शराब कारोबारियों से पैसा इकट्ठा किया और उसे दूसरी जगह डायवर्ट किया.

 

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