प्रदूषण की मार झेल रही देश की राजधानी में बेहद खूबसूरती से दिवाली का त्यौहार मनाया जा रहा है. 'आजतक' की टीम ने ऐसे परिवार से बातचीत की जिन्होंने इस दिवाली पटाखों को पूरी तरह न कह दिया है. दिलचस्प बात है कि ये परिवार और उनके पड़ोसी पिछले कुछ सालों तक दिवाली की रात जमकर आतिशबाज़ी करते थे लेकिन इस परिवार ने बढ़ते प्रदूषण और ज़हरीली हवा के खिलाफ एक संकल्प लिया है.
आठवीं क्लास में पढ़ने वाली देवी बताती हैं कि दिवाली से पहले स्कूल में नुक्कड़ नाटक के जरिये जागरूक किया गया कि पटाखे से निकलने वाला प्रदूषण सेहत के लिए कितना खतरनाक है. पटाखों से ध्वनि प्रदूषण भी काफी होता है, इसलिए मम्मी-पापा को इस साल पटाखे खरीदने से मना किया है. देवी ने दिल्लीवालों से अपील करते हुए कहा कि दिवाली पटाखों का नहीं बल्कि दीयों का त्यौहार है. ऐसे में लोग रोशनी का ज़िन्दगी में स्वागत करें और पटाखे फोड़ने की गलत प्रथा को विदा करें.
इस मुहिम में देवी को परिवार का साथ मिला है. देवी की मां मेघना ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने के साथ ही उनके परिवार में जागरूकता काफी बढ़ गई है. मेघना आस-पड़ोस में पटाखे न जलने से बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा कि '2 साल पहले तक हमारा परिवार और पड़ोसी काफी पटाखे फोड़ते थे लेकिन अब प्रदूषण इतना है कि सांस लेने में मुश्किल होती है. खुशी की बात है कि हमारी कॉलोनी में अब पटाखें नहीं फोड़ते बल्कि दिये जलाए जाते हैं.'
देवी के पड़ोस में रहने वाली नर्गिस बताती हैं कि घर पर पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगा दिया गया है. नर्गिस ने बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि 'पिछले साल दिवाली के बाद प्रदूषण इतना ज्यादा था कि सामने वाली इमारत नजर नहीं आ रही थी. इस साल हमने पटाखे खरीदने के लिए घर पर साफ मना कर दिया है कि उनके घर में एक कुत्ता भी है जो पटाखों की आवाज सुनकर डर जाता है.'
हालांकि जब परिवार और पड़ोसियों से पूछा गया कि पटाखों के बिना वो दिवाली कैसे मनाएंगे तो काफी दिलचस्प जवाब मिले. परिवार के सदस्यों ने कहा कि दिवाली पटाखों का त्यौहार है. एक दूसरे से मिलने का त्यौहार है, मिठास फैलाने का त्यौहार है, ना की प्रदूषण फैलाने का. ऐसे में वो पटाखें फोड़ने की बजाय रंगोली बनाकर, परिवार के साथ वक्त बिताकर दिवाली का त्यौहार मनाएंगे.
आपको बता दें कि दिल्ली में हर साल सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ जाता है. साथ ही दिवाली के दौरान जलाए जाने वाले पटाखों की वजह से हवा कई गुना जहरीली भी हो जाती है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने रात 8 बजे से 10 बजे तक ग्रीन पटाखे फोड़ने की अनुमति दी है. हालांकि लोग बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब पटाखों से किनारा भी कर रहे हैं.