नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध एक बार फिर तेज होता दिखाई दे रहा है. आज संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले एक बार फिर किसान दिल्ली की सीमा पर एकत्रित हो रहे हैं. कृषि कानून के छह महीने होने पर किसान आज काला दिवस मना रहे हैं. हालांकि राकेश टिकैत का कहना है कि हालातों को देखते हुए ज्यादा आंदोलनकारी इकट्ठा नहीं किए गए हैं.
देश के अलग-अलग हिस्सों में क्यों मना काला दिवस?
किसानों की ओर से मनाया जा रहा काला दिवस सिर्फ दिल्ली के बॉर्डर तक सीमीत नहीं है. पंजाब, हरियाणा समेत कई जगों पर किसान अपने घरों के छतों, वाहनों आदि पर काले झंडे लगा कर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. महाराष्ट्र के नंदुरबार, नांदेड़, अमरावती, मुंबई, नागपुर, सांगली, परभणी, थाने, बीड़, सोलापुर, बुलढाणा, कोल्हापुर, नासिक, औरंगाबाद, सतारा, पालघर, जलगांव में किसानों और आम नागरिकों ने घर पर काले झंडे लगाकर और मोदी सरकार के पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन किया. वहीं बिहार के बेगूसराय, अरवल, वैशाली, पूर्णिया जैसे इलाकों में भी सरकार के खिलाफ रोष देखने को मिला. सिर्फ राज्य बदलें, लेकिन विरोध की तस्वीरें सामने आती रहीं और किसानों का ये आंदोलन भी व्यापक रूप लेता दिखा.
पंजाब के बरनाला में प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि आज 26 मई को दिल्ली में शुरू के संघर्ष को 6 महीने पूरे हो चुके हैं और आज किसानों द्वारा इस दिन को काले दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, किसानों द्वारा पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ प्रचार किया गया था जिसके बाद पश्चिम बंगाल में वह हारी है.
दिल्ली बॉर्डर पर बढ़ाई गई सुरक्षा
किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली के बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. दिल्ली पुलिस के अलावा पैरा मिलिट्री फोर्स और कमांडो तैनात किए गए हैं. हरियाणा से दिल्ली आने वाली सभी गाड़ियों को चेक किया जा रहा है. दिल्ली पुलिस के अधिकारी सुबह से रजोकरी बॉर्डर पर तैनात हैं. पुलिस ने रास्ते पर कंटेनर रखा है, ताकि किसान आते हैं तो उन्हें यहां रोका जा सके.