दिल्ली के कड़कड़डूमा स्थित स्वास्थ्य महानिदेशालय बिल्डिंग में शुक्रवार की दोपहर लगी आग ने दिल्ली सरकार और उसके इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक तरफ सरकार ने आग लगने की स्थिति में इससे निपटने के लिए अधिनियम बनाकर प्रत्येक सरकारी-गैर सरकारी कार्यालयों में अग्निरोधक यंत्रों को रखना और उनका वार्षिक परीक्षण अनिवार्य कर रखा है. वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के इस सरकारी भवन में आग रोकने के इंतजाम नाकाफी थे.
स्वास्थ्य महानिदेशालय की बहुमंजिली इमारत में आग रोकने के इंतजाम नाकाफी होने की वजह से आग फैलती गई और कई फाइलें जलकर राख हो गईं. परिणाम यह रहा कि फायर ब्रिगेड की ओर से मिली जानकारी के अनुसार उन्हें बिल्डिंग में आग लगने की सूचना अपराह्न 1:40 बजे मिली. सूचना मिलने के बाद दस्ते के वाहन जब तक मौके पर पहुंचे, आग बहुमंजिला इमारत की छठवीं-सातवीं मंजिल तक फैल चुकी थी.
काम नहीं कर रहा था फायर सेफ्टी इक्विपमेंट
डिप्टी चीफ फायर ऑफिसर वीरेंद्र सिंह ने भी भवन में आग रोकने के लिए इंतजाम ना होने को आग के विकराल रूप लेने का प्रमुख कारण बताया. उन्होंने कहा कि बिल्डिंग में कोई भी फायर सेफ्टी इक्विपमेंट काम नहीं कर रहा था. सिंह ने कहा कि यदि फायर इक्विपमेंट काम कर रहे होते तो आग को फैलने से रोका जा सकता था.
केवल आग डिटेक्शन कर रहा था काम
डिप्टी चीफ फायर ऑफिसर ने कहा कि भवन का आग डिटेक्शन काम कर रहा था. उन्होंने बताया कि इसकी वजह से अलार्म बज गया और कर्मचारी समय रहते भवन से बाहर निकलने में सफल रहे. यदि यह भी काम नहीं कर रहा होता तो जान-माल के अधिक नुकसान की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
क्या है नियम
नियमों के अनुसार प्रत्येक सरकारी अथवा गैर सरकारी कार्यालयों में अग्निरोधी यंत्र रखने अनिवार्य हैं. जिससे आग लगने की स्थिति में उसे शुरू में ही काबू किया जा सके. इन उपकरणों की वार्षिक जांच भी जरूरी है. लेकिन स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण सरकारी विभाग की बिल्डिंग में अग्निरोधी उपकरणों का कार्य न करना इसके प्रति विभाग की लापरवाही को उजागर करता है.
बता दें कि डीजीसीएच बिल्डिंग में शुक्रवार की दोपहर में आग लग गई थी. इस घटना में किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन कई फाइलें जलकर राख हो गईं. इनमें कई महत्वपूर्ण फाइलों के होने की आशंका भी जताई जा रही है.