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निर्भया रेप कांड के 11 साल बाद भी रो पड़ी दिल्ली की लड़कियां, बोलीं- आज भी हैं असुरक्षित

निर्भय गैंगरेप और मर्डर के 11 साल बाद आजतक की टीम ने साउथ कैंपस में पढ़ने वाली कुछ छात्राओं से बात की. लड़कियों ने बताया कि सुरक्षा के लिहाज से आज भी कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिला है. लड़कियां घर से जब निकलती है तो मनचले किसी भी वक्त उन्हें छेड़ने के लिए तैयार रहते हैं.

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निर्भया कांड के 11 साल हुए
निर्भया कांड के 11 साल हुए

दिल्ली में हुए निर्भय गैंगरेप और मर्डर की घटना शायद ही कभी कोई भुला पाएगा. 11 साल होने के बाद भी कुछ नहीं बदला है. आज भी दिल्ली की लड़कियां निर्भया कांड के बारे में सुनकर भावुक हो जाती हैं, उनकी आंखें नम हो जाती है और सभी का यही मानना है कि दिल्ली में आज भी बेटियां सुरक्षित नहीं है. 

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इस घटना के 11 साल बीत जाने के बाद आजतक की टीम ने साउथ कैंपस में पढ़ने वाली कुछ छात्राओं से बात की. लड़कियों ने बताया कि सुरक्षा के लिहाज से आज भी कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिला है. लड़कियां घर से जब निकलती है तो मनचले किसी भी वक्त उन्हें छेड़ने के लिए तैयार रहते हैं. बस हो या कोई भी पब्लिक प्लेस हर जगह मनचलों की गंदी निगाह लड़कियों पर लगी रहती हैं.

11 साल बाद भी निर्भया को याद कर रो पड़ी लड़कियां

लड़कियों ने कहा कि हमारे देश में रेप के कानून को और भी सख्त बनाने की जरूरत है ताकि मनचलों को सबक मिल सके. साथ ही इसकी शुरुआत अपने परिवार से करनी चाहिए. घर के लड़कों को भी बताना चाहिए कि वह लड़कियों की इज्जत करें. घटना के बाद महिला सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े वादे और कानून बनाए गए. लेकिन उसका कोई फायदा 11 साल बाद भी देखने को नहीं मिल रहा है.

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साल 2012 में चलती बस में हुआ था निर्भया के साथ गैंगरेप 

लड़कियों का कहना है कि दिल्ली सरकार उन्हें बस का सफर मुफ्त करा रही है. पर उन्हें सुरक्षा की ज्यादा जरूत है, जिससे वो बेखौफ होकर अपने घरों से निकल सके. 6 दिसंबर 2012 की रात को दिल्‍ली की सड़कों पर दौड़ती एक प्राइवेट बस में ऐसा जघन्‍य सामूहिक रेप कांड हुआ था जिसने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया.  निर्भया के आरोपियों को 8 साल चले केस के बाद मुकेश, पवन, अक्षय और विनय को साल मार्च 2020 में तिहाड़ जेल दिल्‍ली में फांसी दी गई.

'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस' करार दिया गया था

बता दें, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस' करार दिया गया था. निर्भया गैंगरेप-मर्डर कांड के बाद देश भर में महिला सुरक्षा के लिए कई बड़े कदम उठाए गए. देश में जस्टिस जेएस वर्मा कमेटी की सिफारिशें लागू की गईं. देश के लगभग सभी जिले में रेप पीड़‍िताओं के लिए वन स्‍टॉप सेंटर बनाए गए. महिला सुरक्षा के लिए हेल्‍पलाइन शुरू की गई. ऐसे मामले में पीड़िता की मदद के लिए निर्भया फंड बनाया गया. दूसरी ओर, निर्भया कांड में करीब 8 साल केस चलने के बाद चार दोषियों को मार्च 2020 में फांसी दी गई. एक नाबालिग दोषी को तीन साल के बाद रिहा कर दिया गया. सजा से पहले ही इस मामले के ए‍क दोषी ने जेल में ही खुदकुशी कर ली थी.

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जुवेनाइल जस्टिस एक्ट

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 181 और 182 में बदलाव के अलावा 22 दिसंबर 2015 को राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हो गया था.  जिसके तहत प्रावधान किया गया कि 16 साल या उससे अधिक उम्र के किशोर को जघन्य अपराध करने पर एक वयस्क मानकर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए और उस पर मुकदमा चलाया जाए.
(रिपोर्ट- अमरदीप कुमार)

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