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दिल्‍ली गैंगरेप: अदालत ने बस मालिक के खिलाफ आरोप तय किया

राजधानी में 16 दिसंबर के गैंगरेप मामले में चार लोगों को मौत की सजा सुनाए जाने के करीब तीन हफ्ते बाद दिल्ली की एक अदालत ने उस बस मालिक के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप तय किये हैं, जिसमें इस नृशंस अपराध को अंजाम दिया गया था.

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राजधानी में 16 दिसंबर के गैंगरेप मामले में चार लोगों को मौत की सजा सुनाए जाने के करीब तीन हफ्ते बाद दिल्ली की एक अदालत ने उस बस मालिक के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप तय किये हैं, जिसमें इस नृशंस अपराध को अंजाम दिया गया था.

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अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विनोद कुमार गौतम ने दिनेश यादव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और धारा 181 (सरकारी सेवक के समक्ष झूठा बयान देने) के तहत आरोप तय किये हैं.

दिनेश 2 जनवरी को गिरफ्तारी के बाद से ही हिरासत में है. अदालत ने हालांकि दिनेश के सह आरोपी एवं सेवानिवृत ट्रैफिक निरीक्षक जय भगवान और रकम सिंह को आरोपमुक्त कर दिया, जिनके बारे में पुलिस ने दावा किया था कि उन्होंने बस का पंजीकरण कराने में मदद की थी. अदालत ने कहा, 'आरोपी रकम सिंह और आरोपी जयभगवान को मौजूदा मामले से आरोप मुक्त किया जाता है.' दिनेश (35) को झूठा बयान देने के आरोप में 2 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था. उसने बस का पंजीकरण प्रमाणपत्र और परमिट पाने के लिए राज्य परिवहन विभाग को कथित तौर पर झूठी सूचना सौंपी थी.
जिस बस में 23 वर्षीय छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ था उसे दो साल में छह बार जब्त किया गया था और उसके पास रोड परमिट या फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं था. दिनेश पर अपना ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक पासबुक, एलआईसी पॉलिसी और अन्य दस्तावेज की ऐसी प्रतियां सौंपने का आरोप है, जिसमें उसने खुद के दिल्ली स्थित बुराड़ी का निवासी होने का दावा किया है, जबकि वह वहां नहीं रह रहा था.
पुलिस ने बताया कि उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होने के बावजूद दिनेश ने दिल्ली में बस चलाने को लेकर लाइसेंस प्राप्त करने के लिए खुद को गैर कानूनी तौर पर बुराड़ी का निवासी बताया. उसने परिवहन विभाग से 10 बसों का पंजीकरण कराने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया. गैंगरेप मामले में 13 सितंबर को विनय, अक्षय, पवन और मुकेश को एक त्वरित अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी.

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